कार्यकाल ना पूरा करने वाले पहले अधिकारी बनें सजंय अरोड़ा
चंडीगढ़ः गवर्नर गुलाब चंद कटारिया के आदेश के बाद नगर निगम में प्रशासनिक फेरबदल किया गया है। इस दौरान चीफ इंजीनियर संजय अरोड़ा को पद से हटा दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, मेयर के करीबी कुछ भाजपा पार्षद संजय अरोड़ा के कार्यों से नाराज थे और उनके खिलाफ लगातार शिकायतें गवर्नर हाउस तक पहुंच रही थीं। वहीं, मनीमाजरा हाउसिंग प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारियां विरोधी पक्ष तक पहुंचने को लेकर भी नगर निगम के भीतर असंतोष की स्थिति बनी हुई थी। बताया जा रहा है कि संजय अरोड़ा की जगह केपी सिंह को नया चीफ इंजीनियर नियुक्त किया जा सकता है।

बता दें कि संजय अरोड़ा यूटी एडमिनिस्ट्रेशन ज्वाइन करेंगे, वह वहां सुपरिटेंडेंट इंजीनियर थे और नगर निगम में चीफ इंजीनियर के लिए डेपुटेशन पर लगाए गए थे। इन्हें 24 सितंबर 2024 को यहां तैनात किया गया था और डेढ़ साल के कार्यकाल के बाद उन्हें यहां से हटा दिया गया है। वह पहले ऐसे अधिकारी हैं, जो तीन साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सके हैं। संजय अरोड़ा पहले चीफ इंजीनियर थे, जो यूटी प्रशासन से नगर निगम में लगाए गए थे। इससे पहले पंजाब या हरियाणा के अधिकारियों की पोस्टिंग यहां होती थी।
इस समय नगर निगम के सभी छोटे बड़े अफसरों के संजय अरोड़ा चहेते रहे हैं। भले ही नगर निगम मेयर हरप्रीत कौर बबला का कार्यकाल डेढ़ माह का ही रह गया हो, मगर भाजपा के पार्षदों की वजह से यह कार्रवाई हो पाई है। सजंय को हटाने के मुख्य कारण है, जिनमें बड़े टेंडर सिरे नहीं चढ़ पा रहे थे, जिसमें कचरा निपटारा प्लांट डडूमाजरा में बनना है, एनजीटी और हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाया हुआ है। पार्षदों और ठेकेदारों के साथ लगातार टकराव की स्थिति बन रही थी। मनीमाजरा हाउसिंग प्रोजेक्ट के सभी कागजात विरोधी पार्षदों के पास जा रहे थे और इससे वह मेयर को घेरने में कामयाब हो रहे थे। आर्किटेक्ट विभाग से भी इस संबंधी शिकायत ऊपर जा रही थीं।