नशामुक्त हिमाचल’ के लक्ष्य को मजबूत करने के लिए चला एक अभियान
ऊना/सुशील पंडित: हिमाचल सरकार द्वारा 15 नवम्बर से शुरू की गई ‘एंटी-चिट्टा ड्राइव’ को आगे बढ़ाते हुए, प्रदेश पुलिस और ड्रग्स विभाग ने आज ‘नशामुक्त हिमाचल’ के लक्ष्य को मजबूत करने के लिए एक अभियान चलाया। इस दौरान, पूरे प्रदेश में बंद, निलंबित, या समर्पित लाइसेंस वाली 20 दवा निर्माण इकाइयों का व्यापक और पारदर्शी तरीके से निरीक्षण किया गया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रतिबंधित और नकली दवाओं के अवैध निर्माण तथा तस्करी को रोकना है, क्योंकि खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ निष्क्रिय इकाइयों का दुरुपयोग गुप्त रूप से अवैध दवाओं, फेक ब्रांडेड दवाओं और मनो-संवेदी पदार्थों के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। ऊना, बिलासपुर, सोलन, सिरमौर, नूरपुर और बद्दी जैसे छह जिलों में यह निरीक्षण किया गया। गहन जांच (लाइसेंस पुष्टि, स्टॉक ऑडिट और तलाशी) के दौरान, चार इकाइयों में अनियमितताएं पाई गई।

इसी कड़ी में औद्योगिक क्षेत्र बाथू में स्थित एक फ़ार्मा कंपनी पर बीती रात ड्रग इंस्पेक्टर और पुलिस की संयुक्त टीम ने कार्रवाई की। यह छापेमारी कंपनी का दवा निर्माण लाइसेंस रिन्यू न होने के कारण की गई, फिर भी वहां बिना अनुमति के दवाइयों का निर्माण जारी था।
जांच टीम ने फैक्ट्री परिसर के विभिन्न सेक्शनों में छानबीन की। इस दौरान उत्पाद निर्माण गतिविधियों में भी अनियमितताएं पाई गईं। सूत्रों के अनुसार टीम को कुछ संदिग्ध रसायन पदार्थ भी मिले जिन्हें मौके पर सीज कर दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि इन पदार्थों से दवाइयों का निर्माण किया जा रहा था, जबकि कंपनी के पास इसके लिए वैध एवं रिन्यू लाइसेंस उपलब्ध नहीं था। ड्रग इंस्पेक्टर की ओर से संदिग्ध सैंपल लिए गए हैं, जिन्हें आगे लैब परीक्षण के लिए भेजा जाएगा। पुलिस ने कंपनी के दस्तावेज़, स्टॉक रजिस्टर और उत्पादन रिकॉर्ड को कब्ज़े में लेकर जांच शुरू कर दी है। वहीं छापेमारी अभी जारी है, और कागज़ात की पुष्टि तथा रासायनिक नमूनों की रिपोर्ट के बाद कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई क्षेत्र में पिछले कई महीनों में फार्मा सेक्टर पर हुई सबसे सख्त कार्रवाई मानी जा रही है। इन सभी फार्मा कंपनियों के विरुद्ध नियमानुसार कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।