जालंधर, ENS: पंजाब भर में भिखारियों के खिलाफ सरकार ने सख्त एक्शन ले लिया है। दरअसल, भीख मांगने वाली महिलाओं की गोद में छोटे बच्चों को लेकर तस्करी होने के शक में सामाजिक सुरक्षा एवं महिला व बाल विकास विभाग ने बच्चों और उनके अभिभावकों का डीएनए टेस्ट करवाने का फैसला किया है। इस संबंध में सभी डिप्टी कमिश्नरों को ‘ऑपरेशन जीवन ज्योत’ के अंतर्गत ऐसे बच्चों का पता लगाने को कहा गया है जिन पर विभागीय अधिकारियों को थोड़ा-सा भी संदेह है।
डीएनए टेस्ट करवाने का यह विचार उस समय आया, जब सामाजिक सुरक्षा, महिला व बाल विकास विभाग की एक बैठक में मंत्री डॉ. बलजीत कौर को विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव राजी पी. श्रीवास्तव व अन्य अधिकारियों ने बताया कि कई मामलों में ऐसा देखने में आया है कि हम भीख मांगने वाले बच्चों को उनकी माताओं की गोद में देखकर माताओं को चेतावनी देते हैं कि यदि उन्होंने फिर से भीख मंगवाई तो केस दर्ज किया जाएगा। लेकिन माताएं किसी और चौक या अन्य नगर में उन्हीं बच्चों से वही काम करवाने लगती हैं।
इस कारण बच्चों से भिक्षावृत्ति का खेल जारी ही रहता है। इस तरह का मामला सबसे पहले बठिंडा में सामने आया था जहां आठ बच्चों को बचाया गया था। अब ऐसे बच्चों का डीएनए टेस्ट करवाकर हम बच्चों के असली माता-पिता की पहचान करने की कोशिश करेंगे। सामाजिक सुरक्षा, महिला व बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि कई ऐसे बच्चे भी मिल जाते हैं जिनकी माता-पिता से शक्ल नहीं मिलती जो हमारे लिए संदेह करने के लिए काफी है कि कहीं ये बच्चे तस्करी करके तो नहीं लाए गए हैं।
इसलिए हमने ऐसे बच्चों का डीएनए टेस्ट करवाने का फैसला किया है। यदि टेस्ट सफल रहा तो बच्चा अभिभावकों को लौटा दिया जाएगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो अभिभावकों के खिलाफ मानव तस्करी का केस दर्ज होगा। एक अन्य विभागीय अधिकारी ने बताया कि छोटी लड़कियों के मामलों को अति गंभीरता से लिया जा रहा है। फेल होने पर बच्चे अच्छी परवरिश के लिए अडॉप्शन कमेटियों को सौंपे जाएंगे, ताकि इनकी जिंदगी खराब न हो। सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स एजेंसी का कार्यालय हर जिले में है जहां छोटे बच्चों को गोद लेने की लंबी प्रतीक्षा सूची है। दूसरी ओर ऐसे केस आ रहे हैं जिनमें बच्चों से जबरन भीख मंगवाई जा रही है।

