जयपुरः जयपुर-अजमेर हाइवे पर मंगलवार देर रात केमिकल से भरे टैंकर ने सड़क किनारे खड़े LPG सिलेंडरों से लदे ट्रक को टक्कर मार दी। घटना दूदू के मौखमपुरा के पास हुई। इस घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया। टक्कर होते ही दोनों वाहनों में आग लग गई, जो धीरे-धीरे भीषण विस्फोट में बदल गई। करीब दो घंटे तक 150 से ज्यादा गैस सिलेंडर फटते रहे, जिनकी आवाजें 10 किलोमीटर दूर तक सुनाई दीं। धमाकों की तीव्रता इतनी थी कि कई सिलेंडर 500 मीटर दूर खेतों में जा गिरे। हादसे में केमिकल टैंकर का ड्राइवर मौके पर ही जिंदा जल गया, जबकि ट्रक चालक बाल-बाल बचा।
केमिकल से भरे टैंकर की LPG सिलेंडरों से लदे ट्रक से ट/क्कर, धमा-कों से दहला इलाका, देखें वीडियो
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सिलेंडरों से भरे ट्रक में कुल 330 सिलेंडर लदे हुए थे। जैसे ही आग ने ट्रक को अपनी चपेट में लिया, सिलेंडरों में एक के बाद एक ब्लास्ट होने लगे। आसमान में आग के शोले उठने लगे और आसपास अफरा-तफरी मच गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसे की शुरुआत उस वक्त हुई जब टैंकर ड्राइवर ने सामने से आ रही आरटीओ की गाड़ी देखकर डर के मारे वाहन को सड़क किनारे ढाबे की ओर मोड़ दिया। उसी दौरान उसने गैस सिलेंडरों से भरे ट्रक को टक्कर मार दी। टक्कर के तुरंत बाद स्पार्किंग हुई और आग फैल गई।
ट्रक चालक शाहरुख ने बताया कि टैंकर चालक ने खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि वह बाहर नहीं निकल सका और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद हाइवे पर चारों तरफ आग और धुएं का गुबार फैल गया। आग की लपटों ने वहां खड़े पांच अन्य वाहनों को भी अपनी चपेट में ले लिया। घटना के बाद दोनों ओर का ट्रैफिक रोक दिया गया। मौके पर दमकल विभाग की 12 गाड़ियां भेजी गईं, जिन्होंने करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। हालांकि, तब तक ट्रक और टैंकर दोनों पूरी तरह खाक हो चुके थे। हादसे के कारण जयपुर-अजमेर मार्ग पूरी तरह जाम हो गया। ट्रैफिक दबाव कम करने के लिए पुलिस ने मार्ग डायवर्ट किया।
अजमेर से जयपुर की ओर आने वाले वाहनों को किशनगढ़ से रूपनगढ़ होकर भेजा गया। इस वजह से ड्राइवरों को 15 किलोमीटर ज्यादा दूरी तय करनी पड़ी। वहीं, जयपुर से अजमेर जाने वाले वाहनों को 200 फीट बाइपास से टोंक रोड की ओर मोड़ दिया गया। हाइवे को रातभर बंद रखने के बाद बुधवार सुबह करीब 4.30 बजे खोला गया। हादसे की सूचना मिलते ही एसएमएस अस्पताल को अलर्ट मोड पर रखा गया। नव नियुक्त अधीक्षक डॉ. मृणाल जोशी ने बताया कि आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को बुलाया गया। प्लास्टिक सर्जरी विभाग सहित इमरजेंसी और आईसीयू बेड आरक्षित रखे गए।
स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसे के करीब दो घंटे तक मौके पर न तो पुलिस पहुंची और न ही दमकल। यदि शुरुआती समय में आग पर काबू पाया जाता तो इतना बड़ा नुकसान टल सकता था। घटना के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है और ग्रामीण अब भी हादसे की भयावहता से उबर नहीं पाए हैं। यह हादसा एक बार फिर सवाल खड़ा करता है कि हाईवे पर खतरनाक रसायनों और गैस सिलेंडरों से भरे वाहनों की सुरक्षा व्यवस्था कितनी लचर है। यदि तत्काल राहत और बचाव के इंतजाम होते तो शायद जान और माल का इतना बड़ा नुकसान नहीं होता।