इस ‘अनोखा मॉल’ से ले जा सकते हैं मुफ्त स्वेटर, कंबल और जूते...

इस ‘अनोखा मॉल’ से ले जा सकते हैं मुफ्त स्वेटर, कंबल और जूते...

लखनऊ: इन दिनों लखनऊ का एक ‘अनोखा मॉल’ चर्चा का विषय बना हुआ है। इल मॉल मेें आकर कोई भी गरीब आदमी गर्म कपड़ों के साथ और भी जरूरत के बहुत से सामान मुफ्त में ले जा सकता है। शुभचिंतकों द्वारा दान किए गए ये कपड़े रिक्शा चालकों, मजदूरों, झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों और समाज के अन्य वंचित वर्गों को सर्दियों के महीनों में ठंड से लड़ने में मदद करते हैं। यह ‘अनोखा मॉल’ साल के तीन महीने (दिसंबर, जनवरी और फरवरी) चलता है और दानदाताओं से इकट्ठा किए गए ऊनी कपड़ों की पेशकश गरीबों को करता है। यह सिलसिला पिछले पांच वर्षों से चल रहा है। 

गरीबों के लिए बिलकुल मुफ़्त

इस मॉल का संचालन करने वाले डॉ. अहमद रजा खान ने बताया, ‘अन्य स्थानों और अवसरों पर, जहां जरूरतमंदों को ऊनी कपड़े वितरित किए जाते हैं और जहां प्राप्तकर्ता आमतौर पर उन्हें स्वीकार करने में संकोच करते हैं. उसके विपरीत, अनोखा मॉल में ऊनी कपड़े लेने की चाह रखने वाला व्यक्ति ऐसे प्रवेश कर सकता है, जैसे वह किसी शॉपिंग मॉल में खरीदारी करने जा रहा हो और अपनी पसंद के कपड़ों, जूतों आदि को नापकर ले सकता है।’ खान के मुताबिक, अनोखा मॉल में दानदाताओं के साथ-साथ कपड़े, जूते आदि लेने वालों का भी उचित रिकॉर्ड रखा जाता है. उन्होंने कहा, ‘ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि कोई भी जरूरतमंद लोगों की मदद करने वाले इस मॉल का अनुचित लाभ न उठा सके। अनोखे मॉल में गरीबों के लिए कपड़े, सैंडल, सूटकेस, स्कूल यूनिफॉर्म, कंबल और रजाई भी उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि मॉल में दान देने वालों में ज्यादातर डॉक्टर शामिल हैं।

हजारों लोग लाभान्वित

खान ने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करते हैं कि कपड़े और अन्य सामान साफ और इस्तेमाल के लायक हों.’ उन्होंने बताया, ‘चार कर्मचारी रोजाना सुबह दस बजे से शाम छह बजे तक अनोखा मॉल का संचालन करते हैं। पिछले साल करीब 3,000 से 4,000 लोगों ने इस मॉल से कपड़े लिए थे। कपड़े लेने वालों में ज्यादातर रिक्शा चालक, मजदूर और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग शामिल हैं।’

मॉल के नाम के बारे में खान ने कहा, ‘अनोखा का मतलब सबसे अलग होता है। यह एक ऐसा मॉल है, जहां आप अपने कपड़े दान कर सकते हैं और कपड़े ले भी सकते हैं और यहां की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां आप किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते हैं।’