राजकीय मिडल स्कूल मलपुर एक सिर्फ अध्यापिका के सहारे, 150 बच्चों को पढ़ाने के लिए है मात्र एक अध्यापिका

  राजकीय मिडल स्कूल मलपुर एक सिर्फ अध्यापिका के सहारे, 150 बच्चों को पढ़ाने के लिए है मात्र एक अध्यापिका

शास्त्री और टीजीटी आर्टस का पद है लंबे से खाली

शिक्षा का यह है कैसा विकास न सुविधाएं न पूरा है स्टाफ


बददी/सचिन बैंसल : एक तरफ तो प्रदेश सरकार शिक्षा का स्तर उपर उठाने के बडे बडे दावे करती है लेकिन बीबीएन के स्कूलों में हालात कुछ और ही है। यहां पर छात्रों की संख्या के मुताबिक टीचर बहुत ही कम है। औद्योगिक क्षेत्र बददी से सटे राजकीय माध्यमिक पाठशाला मलपुर में पढ़ाई के नाम पर सरकार ने मात्र एक अध्यापक दे रखा है और उसको भी सारा दिन बच्चों को घेर कर रखने में ही समय बीत जाता है। यहां पर कुल मिलाकर 6टी, सातवीं व आठवीं कक्षा में 150 छात्र अध्यनरत हैं जबकि टीचर ले देकर एक ही है। अब वो एक कक्षा को पढ़ाए तो दूसरी दो कलासें हल्ला करती रहती है और खाली बैठे रहते हैं। इस कारण से न तो उनकी पढ़ाई हो पा रही है और न ही पठन पाठन का माहौल बन रहा है।
द्यालय में टीजीटी आर्टस व शास्त्री का पद लंबे समय से खाली चला आ रहा है। यहां पर सिर्फ टीजीटी साईंस की एक प्राध्यापिका के सहारे ही विद्यालय चल रहा है। इसके कारण बच्चे सिर्फ औपचारिकता के तौर पर स्कूल आते हैं और बिना पढ़े ही चले जाते हैं। एकमात्र अध्यापिका की कोशिश रहती है कि वो किसी ने किसी तरीके से सबको कुछ न कुछ पढाए ताकि कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित न रहे लेकिन इस अध्यापिका पर पढ़ाई के साथ साथ कलर्क का बोझ भी पड़ा हुआ है। उसको शिक्षा विभाग को भी बच्चों के समस्त रिकार्ड संबधी रिटन वर्क भी करना पड़ता है। वहीं इस संदर्भ में पंचायत प्रधान सरोज देवी ने कहा कि यहां पर अधिकांश प्रवासियों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। हमने कई बार प्रदेश सरकार, शिक्षा विभाग व उप निदेशक शिक्षा विभाग को अवगत कराया है कि यहा पर शिक्षक भेजो वरना शिक्षा नाश हो जाएगा। लेकिन हमें दुख से कहना पड़ रहा है कि हमारी बात कोई नहीं सुन रहा और नौनिहालों का भविष्य खराब हो रहा है।