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RBI के ऐलान के बाद लोगों को राहत, बैंकों की बढ़ी मुश्किलें

नई दिल्ली : प्रॉपर्टी पर लोन के मामले में रिजर्व बैंक ने ग्राहकों के हक में बड़ा फैसला लिया है। अब अगर लोन चुका देने के बाद प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट वापस देने में बैंक, एनबीएफसी या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां देरी करते हैं तो उन्हें ग्राहकों को हर्जाना देना पड़ेगा। रिजर्व बैंक ने इस संबंध में बुधवार की सुबह नया आदेश जारी किया है। रिजर्व बैंक ने यह ऑर्डर स्मॉल फाइनेंस बैंकों सहित सभी कमर्शियल बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों व एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों को भेजा है।

दरअसल रिजर्व बैंक को इस बारे में शिकायतें मिल रही थीं कि ग्राहकों के द्वारा लोन को पूरा चुका देने या सेटल करने के बाद भी बैंकों व एनबीएफसी आदि के द्वारा प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट देने में देरी की जा रही है। रिजर्व बैंक ने कहा कि इस देरी के चलते विवाद और मुकदमेबाजी जैसी स्थितियां पैदा हो रही है। सेंट्रल बैंक ने सभी संबंधित वित्तीय संस्थानों को ताजे ऑर्डर में रिस्पॉन्सिबल लेंडिंग कंडक्ट यानी जिम्मेदार कर्ज व्यवहार की याद दिलाई।

आरबीआई के फेयर प्रैक्टिस कोड इस संबंध में साफ हिदायत देते हैं कि अगर ग्राहक प्रॉपर्टी लोन की सारी किस्तें चुका दें या लोन को सेटल करा लें तो ऐसी स्थिति में उन्हें तत्काल प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट मिल जाने चाहिए। सेंट्रल बैंक के ताजे आदेश में कहा गया है कि सभी रेगुलेटेड एंटिटीज को लोन की सारी किस्तें मिलने या सेटल होने के 30 दिनों के भीतर ग्राहकों को सारे ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट लौटाने होंगे। ग्राहकों को ये ऑप्शन दिया जाएगा कि वे अपनी सुविधा के अनुसार या तो संबंधित ब्रांच से डॉक्यूमेंट ले सकते हैं या फिर उस बांच या कार्यालय से ले सकते हैं, जहां डॉक्यूमेंट को फिलहाल रखा गया है।

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