पंजाबः AIIMS Hospital के बाहर नर्सों ने धरना लगाकर की नारेबाजी, देखें वीडियो

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बठिंडाः एम्स हॉस्पिटल को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। जहां एम्स हॉस्पिटल के बाहर स्टाफ की नर्सों ने धरना लगा दिया। इस दौरान एम्स हॉस्पिटल के प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। इस दौरान स्टाफ नर्सों की ओर से एम्स अस्पताल की इमरजेंसी सेवा को छोड़कर अन्य सभी सेवाएं बंद कर दी गईं। स्टाफ नर्सों का कहना है कि वह पिछले 3 साल से एम्स अस्पताल में काम कर रहे हैं और उन्हें पक्का नहीं किया जा रहा है और ना ही नई वैकेंसी रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि वह कई दिनों से ऐसे ही प्रोटेस्ट कर रहे हैं लेकिन उनकी एक भी बात नहीं सुनी जा रही है। जिसके चलते आज उन्होंने इमरजेंसी सेवा को छोड़कर अन्य सभी सेवाएं बंद कर दी।

इससे पहले नर्सिंग स्टाफ द्वारा हर रोज शाम के समय कैंडल मार्च निकालकर विरोध बताया जा रहा था। दूसरी तरफ एम्स प्रबंधन हड़ताल पर जाने वाले नर्सिंग स्टाफ पर करवाई करने की बात कर रहा है। जबकि नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि उनको सस्पेंशन के ऑर्डर भी दिए गए हैं। इस पर एम्स के डायरेक्टर का कहना है कि नर्सिंग स्टाफ वाले लोगों की हमदर्दी लेने के लिए ऐसी अफवाहें फैला रहे हैं।

जबकि उनके द्वारा किसी को भी कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है। इस समय अस्पताल में 600 के करीब नर्सिंग स्टाफ काम कर रहा है। नर्सिंग स्टाफ द्वारा प्रोबेशन पीरियड को 2 साल का करने, कर्मचारियों की पदोन्नति करने व एक महीने में आठ छुट्टियां देने की मांग की जा रही है। वहीं, हड़ताल पर गए नर्सिंग स्टाफ के कारण अस्पताल में ओपीडी व आईपीडी का काम भी प्रभावित हुआ। जबकि ओपीडी में तो डॉक्टरों द्वारा रूटीन का चेकअप कर दिया गया। लेकिन आईपीडी में मरीजों को समस्याएं झेलनी पड़ी। हालांकि एम्स प्रबंधन का दावा है कि उनके द्वारा कोई भी सेहत सेवा प्रभावित नहीं होने दी गई है। 

हड़ताल पर गए नर्सिंग स्टाफ की जगह पर जेआर डॉक्टरों व नर्सिंग के विद्यार्थियों को लगाया गया है। जिनके द्वारा ड्यूटी कर अपनी सेवाएं दी जा रही हैं। नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि उनके द्वारा अभी तक आईपीडी व इमरजेंसी सेवाओं में काम नहीं बंद किया गया। फिलहाल सिर्फ ओपीडी का स्टाफ ही प्रदर्शन कर रहा है। यहां तक कि आईपीडी में भी स्टाफ शिफ्ट वाइस कम कर रहा है। अगर उनकी मांगों को नहीं पूरा किया था तो वह इमरजेंसी सभाओं को भी ठप कर सकते हैं।

एम्स प्रबंधन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि नर्सिंग अधिकारियों की भर्ती भारत सरकार द्वारा बनाई गई मिशन भर्ती नीति के दायरे में आती है। संस्था भर्ती के लिए सरकार द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करती है और उन्हें लागू करती है और भर्ती से संबंधित कोई भी मांग संस्था के अधिकार से परे है। जबकि 8 वर्किंग ऑफ की मांग के संबंध में यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वर्किंग ऑफ का आवंटन भारत सरकार द्वारा स्थापित नियमों के अनुपालन में है। ऐसा लगता है कि यह मांग अन्य संस्थानों की प्रथाओं से प्रभावित है, जिनका एम्स बठिंडा से कोई संबंध नहीं है।