पंजाबः पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप मामले में CM मान ने 2 अधिकारियों पर लिया एक्शन

पंजाबः पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप मामले में CM मान ने 2 अधिकारियों पर लिया एक्शन

चंडीगढ़ः पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप 63.91 करोड़ रुपये घोटाले के मामले में सीएम भगवंत मान 2 अधिकारियों पर कार्रवाई की है। इस घोटाले के मामले में सीएम मान ने एक्शन लेते हुए  एक अधिकारी की पेंशन और अन्य वित्तीय लाभ रोक लगा दी है, जबकि दूसरे को बर्खास्त करने की सिफारिश की है। घोटाले के उजागर होने के करीब तीन साल बाद एक रिटायर्ड अधिकारी को मिलने वाली सुविधाओं पर रोक लगा दी गई है। जबकि एक अधिकारी मुकेश कुमार की सेवाएं खत्म करने के लिए पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन (PPSC) को केस भेज दिया गया है। इन दोनों ही अधिकारियों को 11 अक्टूबर 2021 में चार्जशीट भी किया गया था। 63.91 करोड़ रुपये के इस घोटाले में तत्कालीन सामाजिक न्याय सशक्तिकरण व अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री साधू सिंह धर्मसोत का भी नाम हैं।

इस मामले में विजिलेंस धर्मसोत के खिलाफ जांच कर रही है। इस मामले में सरकार ने डिप्टी कंट्रोलर (फाइनांस एवं एकाउंट) चरणजीत सिंह जोकि सेवानिवृत्त हो गए हैं, उनके खिलाफ एक्शन लेते हुए उनकी पेंशन को रोकने के आदेश दे दिए हैं। जबकि सेक्शन ऑफिसर मुकेश कुमार को सेवा से बर्खास्त करने के लिए केस को पीपीएससी को भेज दिया गया है। इन दोनों ही अधिकारियों को साल 2021 में तत्कालीन मंत्री राजकुमार वेरका ने चार्जशीट किया था। बता दें कि पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाला आम आदमी पार्टी के अहम एजेंडे में शामिल था, क्योंकि 2020 में विपक्ष में रहते हुए आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा कांग्रेस सरकार को घेरा था। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी थी।

विजिलेंस तत्कालीन मंत्री साधू सिंह धर्मसोत के खिलाफ जांच कर रही है। हालांकि, धर्मसोत भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले में पहले से ही फंसे हुए हैं। बता दें कि सामाजिक न्याय सशक्तिकरण व अल्पसंख्यक विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी कृपा शंकर सरोज ने घोटाले की एक रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि विभाग के पास स्कॉलरशिप के लिए बांटी गई 39 करोड़ रुपये की राशि का कोई रिकॉर्ड ही नहीं था। यह राशि ऐसे संस्थानों को दे दी गई जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि जिन निजी संस्थानों से विभाग ने आठ करोड़ रुपये वसूलने थे, उनका री-ऑडिट करवाकर उन्हें 16.91 करोड़ रुपये और जारी कर दिए गए, लेकिन नए ऑडिट के आदेश किसने और कब दिए इसकी कोई जानकारी नहीं है। इस कारण विभाग को 24.91 करोड़ रुपये की चपत लगी। पंजाब सरकार ने घोटाले के तीन साल बाद अब दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करनी शुरू की है।

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