पौधों व जानवरों की 10 लाख से अधिक प्रजातियां आलोप होने की कगार पर, जैविक विभिन्नता के बचाव के लिए समझदारी से खरीद करें

पौधों व जानवरों की 10 लाख से अधिक प्रजातियां आलोप होने की कगार पर, जैविक विभिन्नता के बचाव के लिए समझदारी से खरीद करें

कपूरथला/चन्द्र शेखर कालिया: पुष्पा गुजराल साइंस सिटी की ओर से संयुक्त राबटर के दिशानिर्देशों पर अंर्तराष्ट्रीय जैविक विभिन्नता दिवस मनाने के तैयार किए गए प्रोग्रामों अनुसार 1 मई से 22 मई तक 22 दिवसीय 22 कार्यों की शुरु की गई मुहिम अधीन गतिविधियों व वेबिनारों की श्रृंखला चलाई जा रही है। यह मुहिम जैविक विभिन्नता को बचाने व धरती को सेहतमंद रखने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। इस अधीन सभी प्रोग्राम व सरगर्मियां राष्ट्रीय जैव विभिन्नता अथारिटी भारत सरकार व वैस्ट सीड इंडिया प्राइवेट लिमटिड के सहयोग से करवाए जा रहे है। 

साइंस सिटी की डायरेक्टर जनरल डा.नीलिमा जेरथ ने कहा कि इस मुिहम का उद्देश्य जैविक विभिन्नता प्रति लोगों की राय बनाना है। भारत एक विशाल विभिन्नता वाला देश है, जोकि जैविक विभिन्नता की दृष्टि से अमीर विरासत के लिए जाना जाता है। अलग-अलग जलवायु व भूगोलिक स्थितियों व वर्षों की भू-विज्ञानिक स्थिरता के परिणाम के तौर पर यहां पर्यावरण प्रणालियों व स्थानों की विशाल विभिन्नता है। हमारा देश खेतीबाड़ी फसलों की उत्पत्ति के लिए एक वैवेलियन केंद्र भी है। इस मुहिम के दौरान पहला वेबिनार "स्वदेशी पशुओं की जीव विभिन्नता, मौजूदा हालात व भविष्य' पर करवाया गया। 

इस मौके आईसीएआर राष्ट्रीय ब्यूरो अॉफ एनिमल जैनेटिक स्त्रोत करनाल के सीनियर विज्ञानी डा.राजा केएन मुख्य प्रक्ता के तौर पर उपस्थित हुए। उन्होंने बताया कि भूगोलिक क्षेत्र के हिसाब से दुनिया का 7वां बड़ा देशा है। जहां अलग-अलग तरह के भौतिक क्षेत्र, जलवायु प्रणालियां व पर्यावरण स्थान पाए जाते है। जहां जंगली जीव जन्तुओं की विभिन्नता के अलावा पालतू जानवरों की भी बेशुमार विभिन्नता पाई जाती है। उन्होंने बताया कि भारत में 27 प्रजातिया गऊओं की, 8 किस्मों की भैंसें, 40 किस्मों की भेड़ें, 20 तरह की बकरियां और 18 प्रजातियों की मुर्गियां पाई जाती है। 

मुहिम के दूसरे वेबिनार में कन्या महाविद्यालय जालंधर के फैशन डिजाइन विभाग की इंचार्ज डा.हरप्रीत  कौर ने समझदार खरीदारी सबंधी विशेष जानकारी दी। उन्होंने लेक्चर दौरान जानकारी देते हुए बताया कि कपड़ा उद्योग में बरते जाते हानिकारक रसायनों व रंग की बहुत चमक की जरुरत है। यह रसायण व रंग पानी, हवा व मिट्‌टी में मिल कर जीव जन्तुओं, वनस्पति व जैविक विभिन्नता का इतना नुक्सान करते है कि वह कभी भी पूरा नहीं हो सकता। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि शहतूश शाल व हाथी के दांतों की बनी चीजों के प्रयोग पर तब पाबंदी लगाई गई, जब लोग इन जानवरों पर होते अत्याचारों प्रति जागरुक हुए। 

साइंस सिटी के डायरेक्टर डा.राजेश ग्रोवर ने कहा कि जैविक विभिन्नता धरती जीवन के लिए बुनियादी आवश्यकता है। इसलिए इसकी महत्ता को अनदेखा नहीं किया जा सकताा। चाहें अब लोग जैविक विभिन्नता के लिए जागरुक हो रहे है। लेकिन बीते कुछ सदियों से मानवता के इस पर नाकारत्मक प्रभाव देखे गए है। हालांकि हम जैविक विभिन्नता के लिए खतरे का कारण बने है। लेकिन हमारे लिए जो इसकी कीमत है वह कुदरती पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।