एक्शन में आई CBI, देशभर में 33 ठिकानों पर की छापेमारी

एक्शन में आई CBI, देशभर में 33 ठिकानों पर की छापेमारी
देशभर में 33 ठिकानों पर की छापेमारी

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर में हुए उप-निरीक्षकों (एसआई) भर्ती घोटाले के मामले में जांच तेज कर दी गई है। इस घोटाले की जांच को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई भी मंगलवार को एक्शन में दिख रही है। सीबीआई की ओर से मंगलवार को देश के कई शहरों में 33 जगहों पर छापेमारी की जा रही है। जिन शहरों में छापेमारी हो रही है, उनमें जम्मू, श्रीनगर, गाजियाबाद, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, दिल्ली, गांधीनगर, बेंगलुरु, शामिल हैं।

जम्मू कश्मीर एसएसबी के पूर्व चेयरमैन खालिद जहांगीर और परीक्षा नियंत्रक अशोक कुमार के ठिकानों पर भी छापेमारी की जा रही है। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर पुलिस और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के अफसरों के ठिकानों पर भी छापे मारे जा रहे हैं। बता दें कि इसी साल 22 जुलाई को जम्मू कश्मीर सर्विसेज सेलेक्शन बोर्ड ने पुलिस के उप निरीक्षकों के पद के लिए आयोजित हो रही लिखित परीक्षा को रद्द कर दिया था।

4 जून को घोषित हुए थे नतीजे

जम्मू कश्मीर शासन की ओर से पहले ही इस भर्ती घोटाले को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दिया जा चुका था। जेकेएसएसबी ने जम्मू कश्मीर के विभिन्न स्थानों पर 27 मार्च, 2022 को 2022 के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस के एसआई पदों के लिए परीक्षा आयोजित की थी। यह परीक्षा ओएमआर आधारित थी। इसका रिजल्ट 4 जून, 2022 को घोषित किया गया था।

अनियमितताओं का लगा था आरोप

इस परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगने के बाद जम्मू कश्मीर सरकार ने एक कमेटी गठित कर मामले की आंतरिक जांच कराई। जांच के दौरान पाया गया कि परीक्षा आयोजित करने में अनेक अनियमितता बरती गई थी, साथ ही आपराधिक षडयंत्र के जरिए अनेक परीक्षार्थियों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई थी। ये परीक्षा 1200 पदों पर भर्ती के लिए रखी गई थी। सीबीआई में अगस्त में भी इस मामले में रेड की थी। सीबीआई ने इस मामले में जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (JK SSB) के सदस्य समेत कुल 33 लोगों पर विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था।

अफसरों पर भी लगे थे आरोप

दरअसल जम्मू कश्मीर सरकार की इस जांच के दौरान पाया गया कि जम्मू राजौरी और सांबा जिले के अनेक परीक्षार्थियों का प्रतिशत असामान्य रूप से ज्यादा था। आरोप है कि इस मामले में अनेक कोचिंग सेंटर समेत जम्मू कश्मीर सेवा आयोग के अधिकारियों की भी मिलीभगत थी। जांच के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की सिफारिश की।