जयपुर: राजस्थान में बजरी कारोबारी मेघराज सिंह रॉयल के खिलाफ सीबीआई बड़े एक्शन मूड में हैं। इस दौरान सीबीआई ने शनिवार को मेघराज ग्रुप के अलग-अलग ठिकानों पर रेड डाली है। इनमें सीबीआई की जयपुर में ग्रुप के 200 फीट बाईपास स्थित ऑफिस समेत राजस्थान के 14 से ज्यादा ठिकाने पर कार्रवाई जारी है। इनमें टोंक, भरतपुर, सवाई माधोपुर, नागौर, जहाजपुर और भीलवाड़ा समेत ठिकाने शामिल हैं, जहां सीबीआई की टीम लगातार कार्रवाई करने में जुटी हुई है। उनके खिलाफ लीज अवधि समाप्त होने के बाद भी बजरी स्टॉक बेचने की शिकायत हैं।
जानकारी के अनुसार, सीबीआई ने शनिवार को बजरी कारोबारी मेघराज सिंह के एक दर्जन से अधिक ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई शुरू की। इनमें मेघराज के जयपुर में ग्रुप के 200 फीट बाईपास स्थित ऑफिस, टोंक, भरतपुर, सवाई माधोपुर, नागौर, जहाजपुर और भीलवाड़ा समेत ठिकाने शामिल हैं। इस दौरान भीलवाड़ा में लीज धारक संजय गर्ग के कार्यालय पर कार्रवाई की। इसी तरह टोंक जिले के धांधोली स्थिति एसआर एसोसिएट्स के ऑफिस में कार्रवाई की गई है। सीबीआई ने अपनी तीसरी कार्रवाई जहाजपुर में शेखावत एसोसिएट के ऑफिस में की।
जानकारी के अनुसार, ठिकानों पर लीज अवधि पूरी हो जाने के बाद भी अवैध बजरी स्टॉक बेचने की शिकायतें मिल रही थी। इस सूचना पर सीबीआई के अधिकारियों ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया। इस दौरान सीबीआई के अधिकारी सभी ठिकानों पर लगातार सर्च अभियान चलाकर पूछताछ करने में जुटे हुए हैं। लीज धारकों के खिलाफ सीबीआई की बड़ी कार्रवाई से हड़कम्प पर मच गया हैं। वहीं बजरी माफिया इधर-उधर हो गए हैं। बता दें, 4 महीने पहले भी ईडी की टीम ने खनन और होटल कारोबारी मेघराज सिंह के ठिकानों पर कार्रवाई की। इस दौरान प्रवर्तन निर्देशालय ने मेघराज सिंह के जयपुर आवास सहित, नागौर, उदयपुर, जैसलमेर के कई ठिकानों पर दबिश दी। इसमें जयपुर समेत उनके अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी कर 35 लाख से ज्यादा की नकदी जब्त की गई थी।
इस कार्रवाई में उदयपुर के खनिज और माइन्स विभाग के अधिकारियों के साथ भी मिली भगत सामने आई। इस दौरान ईडी ने खनिज विभाग से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, कम्प्यूटर और डिजिटल सामग्री भी जब्त की थी। राजस्थान में बनास नदी में लगातार हो रहे कटाव को देखते हुए वहां के लोगों ने अवैध बजरी खनन को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2017 को राजस्थान में बजरी खनन पर रोक लगा दी गई। इसके बाद मार्च 2018 को बजरी खनन के लिए सभी एलओआई तय अवधि पूरी होने के बाद समाप्त कर दिए गए। इसके बाद 4 साल तक बजरी खनन पर रोक लगी रही। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2021 को राजस्थान में बजरी खनन पर लगी रोक हटा दी, लेकिन अभी भी वैध रूप से बजरी खनन शुरू नहीं हो पाया है।
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