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मां बनना प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान माना जाता है

सुरक्षित मातृत्व एवं बाल विकास को लेकर हुआ मंथन

बददी/सचिन बैंसल: बुधवार को गुल्लरवाला में हुमाना पिपुल टू पिपुल इंडिया संस्था के द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम सुरक्षित मातृत्व एवं बाल स्वास्थ्य परियोजना में निजी चिकित्साकों का उनमुखीकरण प्रशिक्षण करवाया गया। संस्था के जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. अविरल सक्सेना के द्वारा सभी निजी चिकित्साकों को गर्भवती महिलाओं की होने वाली जाँच के बारे में  बताया।  इस दौरान बताया गया कि  महिलाओं कि किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए तथा किस समय कौन सी जांच करवानी चाहिए । इससे माता और बच्चे मे खतरे की संभावना कम हो जाती है । महिलाएं किसी भी समाज की मजबूत स्तंभ होती हैं। डॉ. अविरल सक्सेना ने कहा कि जब हम महिलाओं और बच्चों की समग्र देखभाल करेंगे तभी देश का सतत विकास संभव है। एक गर्भवती महिला के निधन से ना केवल बच्चों से माँ का आंचल छिन जाता है बल्कि पूरा का पूरा परिवार ही बिखर जाता है। मां बनना प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान माना जाता है लेकिन अपने देश में आज भी यह कुछ महिलाओं के लिए मौत की सजा से कम नहीं है। भारत में हर साल जन्म देते समय तकरीबन 45000 महिलाएं प्रसव के दौरान अपनी जान गंवा देती हैं।
देश में जन्म देते समय प्रति 100,000 महिलाओं में से 167 महिलाएं मौंत के मुंह में चली जाती हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक भारत में मातृ मृत्यु दर में तेजी से कमी आ रही है। अशिक्षा, जानकारी की कमी, समुचित स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, कुपोषण, कच्ची उम्र में विवाह, बिना तैयारी के गर्भधारण आदि कुछ कारणों की वजह से माँ बनने का खूबसूरत अहसास कई महिलाओं के लिए जानलेवा और जोखिम भरा साबित होता है। कई मामलों में माँ या नवजात शिशु या दोनो की ही मौत हो जाती है। ज्यादातर मातृ मृत्यु की वजह बच्चे को जन्म देते वक्त अत्यधिक रक्त स्राव के कारण होती है। डॉ. अविरल सक्सेना ने आगे बताया कि इसके अलावा इंफेक्शन, असुरक्षित गर्भपात या ब्लड प्रेशर भी अहम वजहें हैं। प्रसव के दौरान लगभग 30 प्रतिशत महिलाओं को आपात सहायता की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था से जुड़ी दिक्कतों के बारे में सही जानकारी न होने तथा समय पर मेडिकल सुविधाओं के ना मिलने या फिर बिना डॉक्टर की मदद के प्रसव कराने के कारण भी मौतें हो जाती है।  जच्चा और बच्चा की सेहत को लेकर आशा कार्यकर्ताओं का अहम रोल होता है लेकिन इनकी कमी से कई महिलाएं प्रसव पूर्व न्यूनतम स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह जाती हैं। समस्त मातृ मौतों में से लगभग 10 प्रतिशत मौतें गर्भपात से संबंधित जटिलताओं के कारण होती हैं। महिला तथा बच्चे मे होने वाली समस्या के बारे मे पता लग जाता है। इस प्रशिक्षण के दौरान संस्था के कार्यकर्ता संदीप कुमार, कंचना, रक्षा आदि मौजूद रहे।
कैपशन-सुरक्षित मातृत्व एवं बाल विकास पर जानकारी देते एनजीओ के पदाधिकारी। 

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