लुधियाना: पंजाब ह्यूमन राइट कमीशन के हालिया आदेश के बाद सूबे में पहली बार किसी अस्पताल को बकाया बिल के बावजूद मृतक की डेड बॉडी रिलीज करनी पड़ी है। यह मामला लुधियाना के दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (DMC) से जुड़ा है, जहां लिवर ट्रांसप्लांट के एक मरीज की मौत के बाद अस्पताल ने परिवार से 6 लाख रुपये बकाया जमा कराने की शर्त रखी थी।
मृतक के परिजनों द्वारा राशि जमा कराने में असमर्थता जताने पर अस्पताल प्रबंधन ने डेड बॉडी देने से इनकार कर दिया। इसके बाद परिवार ने पंजाब ह्यूमन राइट कमीशन के सदस्य बलजिंदर सिंह जिंदू से संपर्क किया। आयोग के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल को बिना बकाया राशि लिए डेड बॉडी रिलीज करनी पड़ी। मृतक के भाई सोनू जोशी ने बताया कि डीएमसी अस्पताल के साथ लिवर ट्रांसप्लांट का कुल पैकेज 17 लाख रुपये तय हुआ था, जिसमें से 11 लाख रुपये पहले ही जमा करवा दिए गए थे। बाकी 6 लाख रुपये देने थे, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे राशि नहीं जुटा सके। सोनू जोशी के अनुसार इलाज के लिए मकान तक गिरवी रखना पड़ा और रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए गए थे। उनके भाई पेशे से पंडित थे और सीमित आय के कारण परिवार पर भारी आर्थिक बोझ आ गया था।
पंजाब ह्यूमन राइट कमीशन के सदस्य बलजिंदर सिंह जिंदू ने बताया कि आयोग के चेयरमैन के निर्देश पर पुलिस कमिश्नर और अस्पताल प्रबंधन से संपर्क किया गया। उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत किसी भी हालत में अस्पताल मृतक की डेड बॉडी को बकाया बिल के कारण रोक नहीं सकता। काफी चर्चा के बाद अस्पताल प्रबंधन ने आदेश मान लिया। उन्होंने इसे आयोग के आदेश के बाद पहला मामला बताया, जिसमें सीधे हस्तक्षेप कर डेड बॉडी रिलीज करवाई गई। वहीं, डीएमसी अस्पताल के अकाउंट विभाग के प्रतिनिधि अभिषेक ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार किया।
