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अवैध खनन के पूरे इको सिस्टम पर ऊना प्रशासन का निर्णायक प्रहार

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बहुस्तरीय रणनीति बनी कारगर, प्रदेश में ‘ऊना मॉडल’ की गूंज

ऊना/सुशील पंडित: ऊना जिले में अवैध खनन और उससे पोषित पूरे इको सिस्टम को ध्वस्त करने को जिला प्रशासन की बहुस्तरीय रणनीति कारगर साबित हो रही है।डीसी जतिन लाल ने जिले में रात्रिकालीन उत्खनन नेटवर्क, अवैध ढुलाई, शराब-आधारित नाइट एक्टिविटी, असामाजिक तंत्र और हथियारों के दुरुपयोग पर जिस तरह बहुस्तरीय और समग्र रणनीति से प्रहार किया है, वह अब पूरे प्रदेश में ‘ऊना मॉडल’ के नाम से पहचानी जाने लगी है। इस रणनीति ने बेहद कम समय में ठोस परिणाम दिए हैं और अवैध खनन के पूरे ढांचे को लगभग जड़ों से हिला दिया है।

डीसी जतिन लाल का कहना है कि अवैध खनन सिर्फ उत्खनन का मुद्दा नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था, पर्यावरण, राजस्व, परिवहन अव्यवस्था और अपराध चक्र से जुड़ा एक व्यापक संकट है। इसलिए ऊना में एक बहुस्तरीय, वैज्ञानिक और कड़े प्रवर्तन वाला मॉडल लागू किया गया। पिछले एक पखवाड़े में प्रशासन द्वारा उठाए गए कड़े कदमों ने अवैध खनन के हर घटक, माल, मशीनरी, गतिविधि, ढुलाई और सहयोगी आपराधिक तत्वों पर नकेल कसते हुए पूरे आपराधिक ढांचे को कड़ी चोट पहुंचाई है।

ऊना प्रशासन की यह रणनीति अवैध खनन की जड़ों को काटने वाली एक वैज्ञानिक, बहुस्तरीय और समन्वित कार्ययोजना है। आज यह संपूर्ण रणनीति प्रदेश भर में ‘ऊना मॉडल’ के नाम से पहचानी जा रही है और अवैध खनन और उसके पूरे इको सिस्टम के खात्मे का मजबूत उदाहरण बनी है।

रात में खनन पर रोक, टूटी अवैध नेटवर्क की सबसे बड़ी ढाल

अवैध खनन का पूरा ढांचा रात के अंधेरे पर आधारित था। इस पर निर्णायक प्रहार करते हुए जिला प्रशासन ने
शाम 5 बजे से सुबह 6 बजे तक खनन और माल ढुलाई पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया। अब वैध खनन केवल सुबह 6 से शाम 5 बजे तक अनुमति के साथ ही संभव है। इस एक फैसले से अवैध उत्खनन, टिपर मूवमेंट और रात्रिकालीन ढुलाई का तंत्र लगभग ठप हो गया।

शराब बिक्री पर नियंत्रण,रात के अपराध तंत्र की कड़ी टूटी

अवैध खनन से जुड़ी गतिविधियों में देर रात शराब खपत और भीड़ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। इस चक्र को तोड़ने के लिए सभी शराब वेंड्स, अहाते, बार, पब, क्लब और शराब परोसने वाले रेस्टोरेंट को रात 10 बजे तक बंद करना अनिवार्य किया गया। यह कदम नशा नियंत्रण के साथ-साथ रात्रि अपराध गतिविधियों पर रोक का महत्वपूर्ण औजार सिद्ध हुआ है।

परिवहन व्यवस्था पर सख़्ती,अवैध ढुलाई नेटवर्क निष्क्रिय

अवैध खनन की ताकत इसकी ढुलाई चेन से जुड़ी थी। इस चेन को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने परिवहन व्यवस्था को पूरी तरह पुनर्गठित किया। सभी टिप्पर/मॉल ढुलाई वाले भारी वाहन केवल सुबह 10 से शाम 5 बजे तक ही चलने के निर्देश दिए गए। खनन वाहनों के लिए समर्पित कॉरिडोर अधिसूचित किए गए। डीसी चौक से मैहतपुर बॉर्डर तक टिप्परों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। वहीं इस मार्ग पर व्यवसायिक भारी वाहनों की आवाजाही और लोडिंग-अनलोडिंग पर सुबह 8 बजे से रात 9 बजे तक रोक लगाई है। प्रतिबंध अवधि में वाहनों को झलेड़ा-डीसी चौक-संतोषगढ़-अजौली मोड़ मार्ग पर डायवर्ट किया है।
इन कठोर उपायों ने अवैध ढुलाई नेटवर्क को कमजोर कर दिया।

स्वां नदी किनारे वाहनों का अनाधिकृत प्रवेश प्रतिबंधित, बिना अनुमति खनन पर पूर्ण रोक

स्वां नदी को अवैध उत्खनन से सबसे बड़ा खतरा था। इस संवेदनशील क्षेत्र को बचाने के लिए प्रशासन ने नदी किनारे वाहनों का अनाधिकृत प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है। इस क्षेत्र में बिना अनुमति के खनन पर रोक लगाई गई है। उल्लंघन पर वाहन जब्त करने और एफआईआर की करवाई
ने प्रतिबंध को अधिक धारदार बना दिया है। यह कदम नदी की संरचना और पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ा परिवर्तनकारी कदम माना जा रहा है।

प्रशासन-पुलिस-माइनिंग विभाग का संयुक्त निगरानी मैकेनिज्म, रात्रिकालीन पेट्रोलिंग बढ़ाई
अवैध खनन से निपटने में निगरानी सबसे बड़ी चुनौती थी। इसे मजबूत करने के लिए जिले में प्रशासन, पुलिस और माइनिंग विभाग की संयुक्त निगरानी तंत्र को सक्रिय किया गया। रात्रिकालीन पेट्रोलिंग बढ़ाई गई। वहीं, संवेदनशील इलाकों, रूटों और चेक-पोस्टों पर चौबीसों घंटे सक्रिय निगरानी सुनिश्चित की गई। संयुक्त निगरानी ने जवाबदेही बढ़ाई है और मौके पर कार्रवाई की क्षमता को दोगुना किया है।

हथियार लाइसेंसों की समीक्षा

अवैध खनन से जुड़े कुछ मामलों में हथियारों के दुरुपयोग की शिकायतें आने पर जिला प्रशासन ने सभी लाइसेंसधारकों को हथियार थानों में जमा कराने के निर्देश जारी किए और प्रत्येक लाइसेंस की संभावित खतरे के आधार पर समीक्षा शुरू की है। विवादित या जोखिमपूर्ण मामलों में लाइसेंस निलंबित या रद्द किए जा रहे हैं।

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