Loading...
- Advertisement -
HomeHimachalडेयरी व्यवसाय ने बदली चुरूडू के विजय कुमार की किस्मत

डेयरी व्यवसाय ने बदली चुरूडू के विजय कुमार की किस्मत

WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

20 पशुओं की डेयरी से कमा रहे प्रतिमाह 60 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा

ऊना/सुशील पंडित: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना और सरकारी योजनाओं का लाभ गरीब तबके तक पहुंचाना किसी भी सरकार की संवेदनशीलता और दूरदर्शिता को दर्शाता है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा हाल ही में दूध के दामों में की गई बढ़ोतरी ने छोटे पशुपालकों के लिए आय के नए रास्ते खोले हैं। ऊना जिला के कई पशुपालक इस बदलाव का लाभ उठाते हुए अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर रहे हैं। चुरूडू गांव के विजय कुमार इसी परिवर्तन का एक सफल उदाहरण हैं, जिन्होंने डेयरी व्यवसाय को अपनाकर गांव में प्रेरणादायक मिसाल कायम की है।

दो पशुओं से शुरू किया सफर, अब 20 पशुओं का आधुनिक डेयरी फार्म
अंब तहसील के चुरूडू गांव के विजय कुमार पिछले चार वर्षों से डेयरी व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। शुरुआत उन्होंने मात्र दो दुधारू पशुओं से की थी। लेकिन समय-समय पर सरकार द्वारा दूध के दाम बढ़ाए जाने से उन्हें अपने डेयरी व्यवसाय को आगे बढ़ाने का भरोसा मिला। आज उनके पास 12 गायें और 8 बछियां हैं और वे पूरी तरह संगठित और आधुनिक ढंग से अपनी डेयरी यूनिट का संचालन कर रहे हैं।

प्रतिदिन 80 लीटर उत्पादन, गुणवत्ता के आधार पर 50 रुपये प्रति लीटर मूल्य
वर्तमान में विजय कुमार अपने फार्म से प्रतिदिन लगभग 80 लीटर दूध का उत्पादन कर रहे हैं। उन्हें दूध की गुणवत्ता (फैट प्रतिशता) के आधार पर 50 से 52 रुपये प्रति लीटर का मूल्य मिल रहा है। परिवार के सदस्य भी कार्यों में सहयोग देते हैं, साथ ही उन्होंने अपने फार्म पर एक व्यक्ति को रोजगार भी उपलब्ध करवाया है। विजय बताते हैं कि, “दूध के अच्छे दाम मिलने से ही मैं अपने साथ एक व्यक्ति को रोजगार दे पा रहा हूं।”

प्रतिमाह 60 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा
विजय कुमार की डेयरी यूनिट से प्रतिमाह लगभग 1 लाख 10 हजार रुपये की आय होती है। चारा, फीड, दवाइयां, बिजली और श्रम सहित सभी खर्चों को घटाने के बाद वे लगभग 60 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा लेते हैं। गांव की परिस्थितियों में यह आय एक मजबूत और स्थायी आर्थिक आधार का संकेत है।

आधुनिक उपकरणों से डेयरी को मिला नया रूप
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की किसान और पशुपालक हितैषी नीतियों से प्रेरित होकर विजय ने अपने फार्म को आधुनिक बनाने में निवेश किया है। उन्होंने दूध निकालने की मशीन, बिजली बाधित होने पर उपयोग के लिए जनरेटर और सफाई कार्यों के लिए ट्रैक्टर कार्ट (बॉक्स्ट) की सुविधा उपलब्ध करवाई है। इससे डेयरी संचालन अधिक सुगम, व्यवस्थित और समय बचाने वाला बन गया है।

पशुपालन विभाग का मार्गदर्शन, उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार
विजय कुमार बताते हैं कि पशुपालन विभाग के अधिकारी समय-समय पर उनके फार्म का निरीक्षण करते हैं और फीड प्रबंधन, दवाइयों, चारे तथा स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं पर आवश्यक दिशा-निर्देश देते हैं। इससे दूध की गुणवत्ता और उत्पादन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

मुख्यमंत्री का आभार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिला नया संबल विजय कुमार ने मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया और कहा कि सरकार की नीतियां पशुपालकों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी व्यवसाय अब एक मजबूत और स्थायी आय का स्रोत बनता जा रहा है।

क्या कहते हैं अधिकारी
पशुपालन विभाग ऊना के सहायक निदेशक डॉ. दिनेश परमार ने बताया कि हिमाचल राज्य दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने वाला पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने पशुपालकों की आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए गाय के दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 45 रुपये से बढ़ाकर 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध का मूल्य 55 रुपये से बढ़ाकर 61 रुपये प्रति लीटर किया है।

उन्होंने बताया कि जिला ऊना में लगभग 70 हजार भैंसें और 50 हजार गायें मौजूद हैं, जिनसे प्रतिदिन करीब 70 हजार लीटर दूध का उत्पादन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिला ऊना में डेयरी फार्मिंग लगातार मजबूत स्थिति बना रही है और पशुपालक इससे अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि जिले में 81 डेयरी कोऑपरेटिव सोसाइटी सक्रिय हैं, जिनमें से 31 सोसाइटी सीधे मिल्क फेड से जुड़ी हैं। ये सोसाइटी प्रतिदिन 5 से 6 हजार लीटर दूध किसानों से खरीद रही हैं, जिससे पशुपालकों को सीधा लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि कोई किसान या सोसाइटी अधिसूचित एकत्रण केंद्र से 2 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित केंद्र पर स्वयं दूध लेकर जाते हैं, तो उन्हें 2 रुपये प्रति लीटर की दर से ट्रांसपोर्ट सब्सिडी का भी प्रावधान है। उन्होंने बताया कि गाय के दूध में 3 से 5 प्रतिशत फैट और 8 प्रतिशत एसएनएफ के आधार पर इसका मूल्य लगभग 51 रुपये प्रति किलोग्राम जबकि भैंस के दूध का मूल्य 80 से 90 रुपये प्रति किलोग्राम बाजार में बिक रहा है।

डॉ. परमार ने बताया कि जिला ऊना से प्रतिदिन 5,500 लीटर दूध झलेड़ा मिल्क फेड और लगभग 65,000 लीटर दूध वेरका, अमूल सहित अन्य निजी संस्थानों द्वारा खरीदा जा रहा है। दूध खरीद की क्षमता बढ़ाने के लिए कांगड़ा के डगवार में 1.5 लाख लीटर क्षमता वाला आधुनिक मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जो भविष्य में दुग्ध उत्पादकों को बेहतर दाम दिलाने में सहायक होगा। झलेड़ा में दूध प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाने के लिए बल्क मिल्क कंटेनर भी स्थापित किया जा रहा है, जिससे प्रतिदिन लगभग 40 हजार लीटर दूध एकत्र कर कांगड़ा प्लांट भेजा जाएगा। साथ ही राज्य सरकार डेयरी कोऑपरेटिव सोसाइटियों को 3 रुपये प्रति लीटर सब्सिडी भी प्रदान कर रही है, जिससे पशुपालकों की आय में उल्लेखनीय लाभ हुआ है।

’सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक पहुँचाना प्राथमिकता ’
उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है, ताकि इन योजनाओं का वास्तविक लाभ हर ग्रामीण तक धरातल पर पहुँच सके। उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से सरकारी योजनाओं को गति देने, जनसमस्याओं के त्वरित समाधान और सरकारी सुविधाओं की व्यापक पहुँच को सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

Disclaimer

All news on Encounter India are computer generated and provided by third party sources, so read and verify carefully. Encounter India will not be responsible for any issues.

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest News

- Advertisement -
- Advertisement -

You cannot copy content of this page