कांगोः दक्षिण-पूर्वी हिस्से में मौजूद एक तांबा खदान में बड़ा हादसा होने का मामला सामने आया है। दरअसल, लुअलाबा प्रांत के कालांडो खदान पर एक पुल ढह गया। इस घटना में 32 लोगों की मौत हो गई। घटना को लेकर वहां पर काम कर रहे मजदूरों में अफरा-तफरी मच गई। गौर हो कि यह घटना इस साल कांगो में हुए सबसे भीषण खनन हादसों में से एक है। सरकारी आर्टिसनल माइनिंग एजेंसी SAEMAPE के मुताबिक हादसा उस समय हुआ, जब खदान वाले इलाके में अचानक फायरिंग की आवाज सुनाई दी।
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बताया जा रहा है कि सुरक्षा में तैनात सैन्यकर्मियों की ओर से गोलियां चलने की सूचना पर खदान मजदूरों में घबराहट फैल गई और वे तेजी से एक संकरे पुल की ओर भागने लगे। भागते लोगों का भारी दबाव पड़ने की वजह से पुल अचानक टूट गया और मजदूर नीचे गिर पड़े। इस घटना को लेकर प्रांत के गृह मंत्री रॉय कौम्बा मायोंडे ने मृतकों की संख्या 32 बताई है लेकिन रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि कहा गया कि कम से कम 40 लोगों की जान गई है। प्रांत के गृह मंत्री रॉय कौम्बा मायोंडे ने बताया- “भारी बारिश और भूस्खलन के खतरे के कारण खदान में प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध के बावजूद अवैध उत्खननकर्ता खदान में जबरन घुस गए।”
कांगो की कारीगरी और लघु-स्तरीय खनन सहायता एवं मार्गदर्शन सेवा ने एक रिपोर्ट जारी की। इसमें उन्होंने बताया है कि घटनास्थल पर सैनिकों की ओर से गोलीबारी की गई थी। इस कारण से खनिकों में दहशत फैल गई और वे पुल की ओर भागे थे। ऐसे में पुल ढह गया और वे सभी एक दूसरे के ऊपर गिर गए और बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए। रिपोर्ट में बताया गया है कि हादसे में कम से कम 40 लोगों की मौत हुई है।
रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि खदान में सैनिकों की उपस्थिति ‘वाइल्डकैट’ खनिकों (संचालन को व्यवस्थित करने के लिए गठित एक सहकारी संस्था) और स्थल के कानूनी संचालकों के बीच विवाद का केंद्र रही है। कांगो में आर्टिसनल खनन से 15 से 20 लाख लोगों की रोज़ी-रोटी चलती है, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम बेहद कमजोर हैं। अक्सर बिना सुरक्षा उपकरणों के अस्थिर इलाकों में काम करने के कारण ऐसे हादसे आम हो गए हैं। कभी सुरंग ढह जाती है, कभी जमीन धंस जाती है और कभी भीड़भाड़ से भरे पुल और रास्ते टूट जाते हैं।