देखने के लिए लगती थी लोगों की लंबी-लंबी कतारें
होशियारपुरः जिले में 114 साल पुराना शीश महल ढहने के कगार पर है। यह शीश महल किसी समय में आकर्षण का केन्द्र था, लेकिन अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है।इस शीश महल का जीर्णोद्धार लाला हंस राज जैन ने 1911 में करवाया था। इस बाजार का नाम भी शीश महल के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि किसी भी सरकार या प्रशासन ने इस शीश महल की सुध नहीं ली। प्राचीन इमारत होने के कारण यह लोगों के आकर्षण का भी एक कारण था। लोगों ने बताया कि एक समय इसे देखने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगती थीं।
इलाके के निवासी अश्वनी शर्मा ने बताया कि यह काफी साल पुराना शीश महल है। व्यक्ति ने बताया कि 10 पैसे की पर्ची से वह महल देखने के लिए आते थे। इसे देखने के लिए एनआरआई भी आते थे। इस एतिहासिक जगह में बनी मूर्तियों की कलाकारी आकृषण का केंद्र है। उन्होंने कहा कि इसके सुधार के लिए नगर निगम को कई बार गुहार लगा चुके है।
वहीं भुवेश ने कहा कि इस बाजार का नाम शीश महल से है। यहां पर लड़क और पत्थर की मूर्तियां बनी हुई हैं। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है, लेकिन किसी भी सरकार ने इसकी देखभाल के लिए योजना नहीं बनाई और ना ही इसकी सुध ली। हालात ये हो गए हैकि कई मूर्तियां गिर चुकी है। इसमें राजा का दरबार है। व्यक्ति ने कहाकि उसने अपने समय में 2 रुपए की टिकट में खुद महल को देखा था। अब महल में दरारें पड़ चुकी है। लोगों की मांग की है, इसे दोबारा से रिपेयर किया जाना चाहिए ताकि पुरातन के एक बार फिर से बचाया जा सके।