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Bhai Dooj पर सिर्फ इतने मिनट तक रहेगा शुभ मुहूर्त, इस विधि के साथ करें तिलक

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धर्म: कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि वाले दिन हर साल भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस बार भाई दूज का त्योहार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। भाई दूज को यम द्वितीया, भाऊ बीज और भतरु द्वितीया जैसे नाम से भी जाना जाता है। इस पावन त्योहार वाले दिन बहनें अपने भाईयों का टीका करती हैं और उनकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती है। इसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। द्रिक पंचागों के अनुसार, इस बार भाई दूज पर राहु काल की अशुभ छाया रहने वाली है। माना जाता है कि राहु काल में कोई भी शुभ काम करना अच्छा नहीं माना जाता है।

मुहूर्त के लिए रहेगा यह शुभ समय

पंचाग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितिया तिथि 23 अक्टूबर की रात 10:46 मिनट तक रहेगी। तिलक और पूजा का सबसे शुभ समय दोपहर 1:13 बजे से लेकर 3:28 तक रहेगा। ऐसे में इस साल भाई दूज पर बहनों के पास सिर्फ 2 घंटे 15 मिनट का शुभ अवसर होगा। इस बार भाई दूज पर आयुष्मान योग बन रहा है। यह योग 24 अक्टूबर सुबह 5:00 बजे तक रहेगा। इसी दिन शिववास योग भी बन रहा है। यह योग 23 अक्टूबर की रात 10:46 बजे तक रहेगा।

इस विधि से करें तिलक

भाई को चौकी पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बिठाएं। फिर भाई के माथे पर रोली या चंदन का तिलक करें और अक्षत लगाएं। अब भाई के हाथ में कलावा बांधे और उन्हें मिठाई खिलाएं। इसके बाद घी का दीपक जलाकर भाई की आरती करें और उसकी लंबी उम्र की कामना करें। अंत में भाई बहन के पैर छूकर उसका आशीर्वाद लें और उन्हें उपहार दें।

भाई की आरती उतारते समय बहन को थाली में सिंदूर, फूल, चावल के दाने, सुपारी, पान का पत्ता, चांदी का सिक्का, नारियल, फलमाला, मिठाई, कलावा, दूर्वा घास और केला जरुर रखें। इन सब चीजों के बिना भाई दूज का पर्व अधूरा ही माना जाता है।

भाई दूज की कथा

मान्यताओं के अनुसार, इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। देवी यमुना ने उनका बहुत अच्छे से आदर-सत्कार किया था। उन्हें स्वादिष्ट भोजन करवाया था और उनके माथे पर तिलक लगाया था। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हें यह वरदान दिया कि आज के दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा उसे अकाल मृत्यु का डर नहीं होगा और उसकी उम्र लंबी होगी। इसी कारण से इस पर्व को यम द्विताया भी कहते हैं। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती है और तिलक लगाती है। भाई भी बहन को तोहफा देते हैं और उनको सदैव रक्षा का वादा करते हैं।

 

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