Loading...
- Advertisement -
HomeSpiritualकल इस शुभ मुहूर्त में मनाई जाएगी Govardhan Puja, जानें पूजा का...

कल इस शुभ मुहूर्त में मनाई जाएगी Govardhan Puja, जानें पूजा का महत्व

WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

धर्म: कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपद तिथि वाले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। पंचागों के अनुसार, अमावस्या तिथि के कारण यह पूजा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, गोवर्धन पूजा अमावस्या की तिथि में करना बहुत ही अशुभ मनाई जाती है। इस पर्व के लिए प्रतिपदा तिथि का लगना बहुत ही जरुर माना जाता है हालांकि हर साल गोवर्धन पूजा दीवाली के अगले दिन की जाती है। ऐसे में यह त्योहार चौथे दिन मनाया जाता है। ऐसे में आपको बताते हैं कि गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।

शुभ मुहूर्त

द्रिक पंचागों के अनुसार, हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि वाले दिन गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार की तिथि 21 अक्टूबर यानी की आज शाम 5:54 मिनट पर शुरु होगी और तिथि का समापन 22 अक्टूबर की रात 8:16 मिनट पर होगा। ऐसे में पूजा का पहला मुहूर्त 22 अक्टूबर में सुबह 6:26 से शुरु होकर सुबह 8:42 तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त दोपहर में 3:29 मिनट से शुरु होकर शाम को 5:44 मिनट तक रहेगा। पूजा का तीसरा मुहूर्त गोधूली वेला में बन रहा है जो कि शाम 5:44 मिनट से लेकर शाम 6:10 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इन तीन मुहूर्तों में पूजा की जा सकती है।

ऐसे करें पूजा

इस दिन सुबह जल्दी उठकर अपने घर की साफ-सफाई करें। फिर गाय के गोबर के साथ गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाएं। इसमें छोटे-छोटे टीले बनाकर गाय, बछड़े, पेड़-पौधे और तालाब जैसी आकृतिक बनाएं। यह प्रकृति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं। इसके बाद पूजा स्थान तैयार करें और दीपक जलाकर भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करें। अब पूजा के लिए फूल, जल, अक्षत, मिठाई, तुलसी पत्र, दूध, दही, घी, गुड़ और अन्न जैसी वस्तुएं रखें। श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की विधि विधान के साथ पूजा करें।

इसके बाद भगवान को अन्नकूट का भोग लगाएं। इस दिन तरह-तरह के व्यंजन जैसे कि पूड़ी, सब्जी, मिठाई, चावल और खीर आदि बनाकर अर्पित करें। मान्यताओं के अनुसार, जितना ज्यादा अन्न भगवान को अर्पित किया जाता है घर में उतनी ही ज्यादा समृद्धि आती है। पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत के चारों और सात बार परिक्रमा करें और फिर श्रीकृष्ण की आरती करें। आरती के बाद सभी को प्रसाद बांटे। इस दिन गायों की पूजा करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है।

पूजा का महत्व

यह पूजा बहुत ही पवित्र मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी छोटी सी उंगली पर उठाया था। इस पूजा से यह संदेश मिलता है कि अंहकार का अंत होता है और प्रकृति तथा भगवान की कृपा ही सच्चा सहारा है। इस दिन गोवर्धन पर्वत की प्रतीकात्मक पूजा कर लोग अपनी कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

Disclaimer

All news on Encounter India are computer generated and provided by third party sources, so read and verify carefully. Encounter India will not be responsible for any issues.

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest News

- Advertisement -
- Advertisement -

You cannot copy content of this page