भाजपा नेता भुट्टो रहे मुख्यातिथि
ऊना/सुशील पंडित: भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा कुटलैहड़ की ओर से करवाचौथ पर्व के उपलक्ष्य में होटल कर्णराज बंगाणा में भव्य महिला उत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा महिला मोर्चा की नेत्री संतोष सैनी ने की। इस अवसर पर सैकड़ों महिलाओं ने भारी उत्साह और पारंपरिक परिधानों में पहुंचकर करवा चौथ के इस धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व को एकजुटता और शक्ति के प्रतीक के रूप में मनाया। कार्यक्रम में कुटलैहड़ भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक दविंदर भुट्टो मुख्यतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि उनकी धर्मपत्नी सलोचना देवी ने बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की।
महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं ने दोनों का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया। मुख्य तिथि दविंदर भुट्टो ने अपने संबोधन में कहा कि करवाचौथ केवल एक धार्मिक व्रत नहीं, बल्कि भारतीय नारी के स्नेह, त्याग और समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह पर्व पति-पत्नी के अटूट रिश्ते की डोर को मजबूत करता है और समाज में प्रेम और विश्वास का संदेश देता है। उन्होंने महिलाओं की समाज में भूमिका को सराहा और कहा कि महिलाएं अगर संगठित हों तो समाज और राष्ट्र दोनों मजबूत होते हैं।
इस दौरान विशिष्ट अतिथि सलोचना देवी ने उपस्थित महिलाओं की गोद में शगुन डालकर सौभाग्य की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में करवाचौथ का विशेष महत्व है और यह परंपरा नारी की आध्यात्मिक शक्ति और विश्वास का जीवंत उदाहरण है। मेहंदी लगाने के बाद जब डीजे की धुनें गूंजने लगीं, तो महिलाएं थिरकने से खुद को रोक नहीं सकीं। पारंपरिक गीतों और आधुनिक संगीत के संगम ने माहौल को उत्सवमय बना दिया।भाजपा नेत्री सुषमा ठाकुर ने कहा कि कुटलैहड़ महिला मोर्चा संगठन की शक्ति लगातार बढ़ रही है और भाजपा की विचारधारा के प्रति महिलाओं में विश्वास दिनों दिन मजबूत हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि महिलाओं की एकता और समाज में उनकी भूमिका को सम्मानित करने का माध्यम है। इस कार्यक्रम में महिलाओं ने भाजपा नेता दविंदर भुट्टो को असली समाजसेवी और कुटलैहड़ क्षेत्र का लोकप्रिय चेहरा” बताते हुए उनके कार्यों की प्रशंसा की।
करवाचौथ पर हुए महिला सम्मेलन में जहां सैकंडों महिलाओं ने भाग लिया। बही मंच पर संबोधन के समय कई बार दविंदर भुट्टो की आँखें नम देखी गई। शायद यह आंखें एक मां को ढूंढ रही होंगी। क्योंकि दविंदर कुमार भुट्टो अपनी मां से बेहद प्यार और लगाव रखते थे। दो वर्ष पूर्व दविंदर कुमार भुट्टो की माता की का अकस्मात निधन हो गया था। लेकिन आज शायद वहीं आंखें एक बार फिर अपनी मां का चेहरा देखना चाहती थी। इसलिए संबोधन में कई बार मधुर आवाज कई बार आंखों पर रुमाल फेरकर यह दर्शा रहे थे, कि मां तो केवल मां होती है,जिसका दर्जा कोई नहीं ले सकता है,इसलिए इस महिला उत्सव पर एक बार फिर आंखें मां के दर्शनों के लिए लालायित हुई थी, और बार बार नम हो रही थी।