नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा दुनिया के कई देशों में लगाए गए टैरिफ पर एक्सपर्ट्स अलग-अलग राय देते हुए दिख रहे हैं। अब हाल ही में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के डीन आंद्रेस वेलास्को ने कहा है कि ट्रंप के द्वारा बाकी देशों के आयात पर लगाए गए टैरिफ किसी भी परेशानी का हल नहीं हैं। उनका कहना है कि इससे देश में नौकरियां और व्यापार से जुड़ी हुई चिंताओं का समाधान नहीं होगा। इसके अलावा उन्होंने ये भी साफ कर दिया है कि अमेरिका में अगले प्रशासन तक भी टैरिफ को वापिस लाने की कोई संभावना नहीं नजर आ रही। भारत को लेकर उन्होंने कहा कि देश लगातार आगे बढ़ता जा रहा है और दुनिया को इसके प्रदर्शन की जरुरत है।
टैरिफ के पीछे हैं राजनीतिक कारण
स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के डीन और चिली के पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि व्यापार में फायदा और लागत अलग-अलग देशों में अलग-अलग होती है। ट्रंप के टैरिफ आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक कारणों से लगाया गया है। ऐसे में अमेरिका में रोजगार पर व्यापार के प्रभाव को लेकर आपकी चाहे कितनी भी चिताएं हो यूएस टैरिफ इसका समाधान नहीं है। किसी के पास अमेरिकी व्यापार नीति में बदलाव करने के कारण हो लेकिन यह तरीका सही नहीं है। वेलास्को का कहना है कि यह बात अमेरिका के राष्ट्रपति को अभी तक समझ नहीं आई है और चाहे वे कोई भी टैरिफ लगाएं अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार नहीं बढ़ने वाला है।
चिंता का विषय बना टैरिफ
आंद्रेस वेलोस्को का कहना है कि – ‘ग्लोबल ट्रेड में अमेरिका की हिस्सेदारी सिर्फ 14% है और टैरिफ का अर्थ है कि उभरते और विकासशील देशों के साथ यूरोपीय यूनियन के बीच व्यापार और ज्यादा गहरा होगा’। कई टैरिफ को आर्थिक आधार पर सही बताना बहुत मुश्किल है परंतु अमेरिका में अगले प्रशासन के लिए इन्हें हटाना आसान नहीं होगा और यही कारण है कि हमें चिंतित होना चाहिए।
आर्थिक तौर पर मजबूत है भारत
भारत के ग्रोथ ट्रैक को लेकर आंद्रेस का कहना है कि – ‘विश्व को भारत के अच्छे प्रदर्शन की जरुरत है। भारत एक लोकतांत्रित देश है जो स्वतंत्रता और सम्मान के मूल्यों को कायम रखता है इसी वजह से भारत विश्व मामलों में एक बहुत ही वैल्यूएबल खिलाड़ी है’। भारत ने 90 के दशक की शुरुआत में हुए सुधारों से शुरुआत करके पहले ही काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। भारत के पास इससे आगे बढ़ने की संभावना भी है। सर्विस सेक्टर0 में भी भारत काफी मजूबत है और आगे भी मजबूत रहेगा। बैंकिंग से लेकर ट्रांसपोर्टेशन यह सभी सेवाओं में आगे है। मैन्युफैक्चरिंग की तुलना में ये बहुत श्रम प्रधान सेक्टर्स हैं। आंद्रेस ने इस बात पर भी जोर दिया है कि भारत के लिए विकास संभव है परंतु इसके लिए अतीत की तरह ही काम करने की जरुरत नहीं है बल्कि भविष्य में कुछ नया करने की जरुरत भी होगी।