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Sharad Purnima पर आखिर क्यों रखी जाती हैं चांद की रोशनी में खीर? जानें

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धर्म: सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का खास महत्व बताया गया है। ऐसा मान्यता है कि इस दिन चंद्र देव अपनी 16 कलाओं से युक्त होते हैं और अमृत वर्षा करते हैं। इसलिए इस दिन चांद की रोशनी के नीचे खीर रखी जाती है। इससे अमृत की कुछ बूंदें खीर में गिर जाती है। कहा जाता है कि जो भी लोग इस अमृतमयी खीर का सेवन करते हैं उनके शरीर को भी कई चमत्कारिक फायदे होते हैं।

इस समय रखें खीर

शरद पूर्णिमा वाले दिन खीर रखने का समय 6 अक्टूबर को रात 10:46 से शुरु होगा और 7 अक्टूबर 2025 की सुबह 6:17 मिनट तक खीर रखी जाएगी। खीर को पूरी रात के लिए चांद की रोशनी के नीचे छोड़ दें।

ऐसे रखें खीर

इस दिन रात में दूध, चावल से बनी खीर चांद की रोशनी में रखने का विधान माना जाता है। आज के दिन दूध, चावल की खीर बनाकर एक बर्तन में रखकर उसको जालीदार कपड़े से ढक्कर चांद की रोशनी में रखें। अगली सुबह ब्रह्मामुहूर्त में श्री विष्णु को उस खीर का भोग लगाएं। भोग लगाने के तुरंत बाद सारी खीर पूरे परिवार में प्रसाद के तौर पर बांट दें। खीर 7 अक्टूबर 2025 की सुबह 6:17 मिनट के बाद खा लें। इसका सेवन स्नान करने के बाद ही करें।

खीर रखने का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा वाले दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं। इसी वजह से इस दिन लोग आस-मान के नीचे खीर बनाकर रखते है इससे अमृत की कुछ बूंदें उनकी खीर में पड़ जाए। कहते हैं कि इस अमृत रुपी खीर का सेवन जो भी करे उसकी सेहत हमेशा अच्छी रहती है। शरद पूर्णिमा वाली खीर खाने से खास तौर पर चर्म रोगियों को बहुत फायदा होता है। इस खीर को जो भी कोई प्रसाद के रुप में खाता है उसके जीवन में पैसे की भी कमी नहीं होती।

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