सलामती के लिए राजवीर के पैतृक गावं में रखवाया अखंड पाठ साहिब
लुधियानाः पंजाबी इंडस्ट्री के मशहूर गायक राजवीर जावंदा की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। वह पिछले तीन दिन से वेंटिलेटर पर है। हादसे के बाद लुधियाना स्थित उनके पैतृक गांव पौना के लोग भी सदमे में हैं। हर तरफ जवंदा के जल्द ठीक होने को लेकर अरदासें की जा रही है। जहां तक की लोग गुरुद्वारा साहिब में पहुंच गए। जवंदा की सलामती के लिए लोगों ने सिधवां कलां में 6वें गुरु हरगोबिंद राय जी के चरण छू गुरुद्वारा साहिब में अखंड पाठ रखवाया है। गांव पौना में जवंदा का पैतृक घर बंद मिला है, गांव के ज्यादातर लोग मोहाली में है। जहां के फोर्टिस अस्पताल में जवंदा 3 दिन से एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं।
गांव पौना में गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी गुरमीत सिंह ने बातचीत में बताया कि जब राजवीर छोटा था तो उनकी मां परमजीत कौर गांव की सरपंच हुआ करती थीं। तब दूरदर्शन की टीम मेरा पिंड–मेरा खेत की शूटिंग करने गांव में आई। कुछ शूटिंग राजवीर के घर भी हुई। तब राजवीर ने 2 लाइनें गाईं तो टीम के सदस्यों ने उसे शाबाशी दी और कहा कि तेरी आवाज अच्छी है। वहीं से उसका सिंगिंग की तरफ झुकाव हुआ। जिसके बाद उसने रियाज शुरू कर दिया। राजवीर ने जगराओं के सन्मति विमल जैन स्कूल से स्कूली पढ़ाई की। फिर जगराओं के DAV कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद पढ़ाई के लिए पटियाला गए। जहां पंजाबी यूनिवर्सिटी से थिएटर एवं टेलीविजन में MA की डिग्री हासिल की।
राजवीर के पिता कर्म सिंह पंजाब पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर थे। इसलिए राजवीर का झुकाव भी पंजाब पुलिस की तरफ हुआ। राजवीर 2011 में पंजाब पुलिस में कॉन्स्टेबल के तौर पर भर्ती हुए। उन्होंने जगराओं में ड्यूटी भी की। मगर, सिंगिंग का शौक भी बरकरार रहा। करीब 8 साल बाद 2019 में जब राजवीर को लगा कि अब सिंगिंग में करियर की लाइन क्लियर है तो उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ दी।
ग्रंथी गुरमीत सिंह ने आगे बताया कि राजवीर जवंदा या उसके परिवार का कोई भी सदस्य गांव आता तो गुरुद्वारा साहिब में अरदास करने जरूर आते हैं। राजवीर अक्सर दिन के समय गुरुद्वारा साहिब में आते हैं और मिठाइयां व अन्य खाने की चीजें लेकर आते।