दशहरे पर भी दिख रहा बाढ़ का असर, पुतलों की मांग घटी
अमृतसरः दशहरा बुराई पर अच्छाई का प्रतीक त्योहार है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त कराया था। भारत में यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है और इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन इस बार महंगाई के कारण इन तीनों पुतलों का निर्माण प्रभावित हुआ है। बांस, कागज और अन्य सामग्रियों की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण इस बार कारीगरों को कम ऑर्डर मिले हैं। इस मौके पर रावण बनाने वाले कारीगर का कहना है कि उनकी पिछली 5 पीढ़ियां इस काम में लगी हुई हैं और अब वह इस काम को संभाल रहे हैं। उनका पूरा परिवार रावण के पुतले बनाने का काम करता है।
उन्होंने एक महीने पहले से रावण के पुतले बनाने शुरू कर दिए थे और दशहरे के दिन हमारा काम पूरा होना है। इस बार महंगाई के कारण ऑर्डर बहुत कम आ रहे हैं, लेकिन फिर भी हम पंजाब के अलग-अलग शहरों में जाकर ये पुतले बनवा रहे हैं। वहीं उन्होंने बताया कि इसमें इस्तेमाल होने वाला बांस असम से मंगवाया जाता है। इसमें न तो हिमाचल, हरियाणा और न ही पंजाब का बांस इस्तेमाल होता है। रावण के पुतले बनाने के लिए असम से ही बांस लाया जाता है। इसीलिए पहले लोग 2 महीने पहले से ऑर्डर दे देते थे, लेकिन अब जैसे-जैसे दशहरा नज़दीक आ रहा है, ऑर्डर बहुत कम आ रहे हैं।
कारीगर के अनुसार, पुतले बनाना उनका पुश्तैनी काम है। पहले उनके दादा और पिता यह काम करते थे और अब उनके भाई और वह यह काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि बाढ़ के कारण मंदी और महंगाई के बावजूद, उन्हें रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों के बहुत कम ऑर्डर मिल रहे हैं और इस समय वह 3 फीट से लेकर 110 फीट तक के पुतले बना रहे हैं। इस बार रावण का पुतला बनाने के लिए लंदन से ऑर्डर आए हैं। हम रावण का पुतला बनाकर लंदन भेज रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पहले लोगों में काफी उत्साह होता था और लोग अपने-अपने घरों और गांवों में दशहरा मनाते थे, लेकिन मौजूदा हालात में पुतला दहन के ऑर्डर कुछ ही नेताओं ने दिए हैं।
पहले जब ऑर्डर कम होते थे, तो ज्यादा से ज्यादा पुतले तैयार करवाते थे और लोग उन्हें खरीदकर ले जाते थे, लेकिन इस बार न तो इतने ऑर्डर मिल रहे हैं और न ही ज्यादा पुतले तैयार हो रहे हैं क्योंकि महंगाई के कारण लोगों का त्योहार मनाने का उत्साह कम हो रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार रावण के बहुत कम पुतले जलाने की अनुमति दे रही है। जिसके चलते अब लोग बहुत कम पुतले बनवा रहे हैं। सबसे ऊंचे पुतले अमृतसर के दुर्गियाना तीर्थ में बन रहे हैं, जो 110 फीट ऊंचे हैं। लोगों की भारी भीड़ इस रावण के पुतले को देखने के लिए आएंगी जिसकों लेकर पूरी मेहनत से काम जारी है।