नई दिल्ली: 27 सितंबर 2025 को गूगल अपना 27वां जन्मदिन मना रहा है। गूगल की ऑफिशियल स्थापना 4 सितंबर 1998 में हुई थी परंतु कंपनी ने जन्मदिन 27 सितंबर को मनाना शुरु किया। इस दिन जन्मदिन मनाने का कारण यह था कि इस दिन गूगल ने अपने सर्च इंजन की ओर से इंडेक्स किए गए पेजों की संख्या में एक खास रिकॉर्ड बनाया था। 27 सालों में गूगल ने टेक्नोलॉजी की दुनिया में नया बदलाव ला दिया है। आज कोई भी सवाल हो सबसे पहले एक ही जवाब आता है गूगल कर लो यहां से आपको हर सवाल का जवाब मिल जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि गूगल हम सभी की जिंदगी का एक जरुरी हिस्सा बन गया है।
ऐसे शुरु हुआ था गूगल का सफर
गूगल का सफर 1995 में शुरु हुआ था। उस समय लैरी पेज और सर्जी ब्रिन ने स्टैनफॉर्ड यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च प्रोजेक्ट के अंतर्गत सर्च एल्गोरिथम डेवलप किया था। इस रिसर्च प्रोजेक्ट का उद्देश्य इंटरनेट पर मौजूद जानकारी को और भी अच्छे से ऑर्गनाइज करना था। 1997 में इसको गूगल नाम दिया गया। यह नाम Mathematics के शब्द Googol से प्रेरित था। यह शब्द एक के बाद एक 100 जीरो का प्रतीतक है। इसके अलावा यह कंपनी के बड़े डाटा को व्यवस्थित करने का महत्व भी दर्शाता है।
4 सितंबर 1998 को मेनलो पॉर्क, कैलिफोर्निया के एक गैराज से गूगल की स्थापना हुई। शुरुआती दिनों में कंपनी के पास सिर्फ पुराने कंप्यूटर और पिंग-पोंग टेबल थी परंतु आज यह गैराज टैक्नोलॉजी की दुनिया में सबसे प्रभावशाली प्लेटफॉर्म की शुरुआत के तौर पर साबित हुआ था।
लैरी पेज और सर्जी ब्रिन ने शुरु किया था गूगल
लैरी पेज और सर्जी ब्रिन ने गूगल की शुरुआत की थी। दोनों ही स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी स्टूडेंट थे। इसके बाद गूगल पेज ने कंप्यूटर साइंस के सेक्टर में इंटरनेसट लिंकिंग पर रिसर्च शुरु की। ब्रिन गणित में काफी टैलेंटेड थे। दोनों ने मिलकर Pagerank का एल्गोरिथम बनाया जो वेबसाइट की रैंकिंग को लिंकिंग व्यवहार के आधार पर तय करता था। गूगल के शुरुआती निवेश में Andy Bechtolsheim ने 1 लॉख रुपये डॉलर का दिया था। उनकी मदद से कंपनी गैराज से बाहर आई और इनका पहला ऑफिस Google Plex में शिफ्ट हुआ। गूगल के जो शुरुआती कर्मचारी थे उनमें Susan Wojcicki भी शामिल थी जो बाद में यूट्यूब की सीईओ बन गई।
गूगल को झेलनी पड़ी थी मुश्किलें
गूगल को उसकी हर सफलता के साथ-साथ नई चुनौतियों और कुछ असफलताओं का भी सामना करना पड़ा था। जैसे गूगल का गूगल प्लस फेसबुक की तुलना में कम मशहूर हुआ था। गूगल बज्ज सिर्फ 22 महीनों तक ही चल पाया था। इसके अलावा गूगल के कुछ और ऐप्स जैसे कि Orkut, Google Labs, Google Allo कुछ समय के बाद बंद हो गए थे।