पठानकोट: पंजाब के पठानकोट जिले में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा के बाद स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। रावी नदी के उफान के चलते जिले के हजारों एकड़ खेतों में तबाही मच चुकी है, जिसमें फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं और खेतों में 4 से 5 फीट तक रेत जम गई है। खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में गन्ने के खेतों में बाढ़ के बाद इतनी रेत भर गई है कि किसानों की जमीन अब खेती लायक नहीं बची है। कई जगहों पर मिट्टी की ऊपरी परत बह चुकी है, जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति पूरी तरह खत्म हो गई है।
राज्य सरकार ने स्थिति को देखते जिन जमीनों पर रेत भर गई है, उन्हें रेतीली जमीन घोषित कर दिया है। सरकार की मंशा है कि इस निर्णय के बाद राहत और पुनर्वास की योजनाएं जल्द लागू की जा सकें। लेकिन किसान इस घोषणा से संतुष्ट नहीं हैं।
स्थानीय किसानों ने प्रशासन और मीडिया से बातचीत में अपनी नाराजगी जाहिर करते कहा कि हमारी जमीनें रेत में नहीं, रावी में डूब चुकी हैं। सरकार कहती है कि जिसकी जमीन में रेत है, वह उसकी मानी जाएगी। लेकिन ये रेत नहीं, रेत और मिट्टी का बेकार मिश्रण है। इससे न तो कोई फसल हो सकती है और न ही ये हमारे किसी काम की है। किसानों की मुख्य मांग है कि सरकार को केवल जमीन को रेतीली घोषित कर छोड़ना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें वास्तविक मदद दी जाए।
किसानों ने मांग की है कि रेत हटाकर जमीन को फिर से खेती योग्य बनाया जाए। बर्बाद हुई फसलों की भरपाई के लिए सरकार बीज, खाद और अन्य जरूरी संसाधन उपलब्ध करवाए। किसानों को आर्थिक सहायता और मुआवजा दिया जाए, ताकि वे शून्य से फिर से शुरुआत कर सकें।