दरों में बदलाव से हिमाचल के गत्ता उद्योग को नुकसान होगा-अशोक राणा
बोले-कच्चे माल की खरीद 18 फीसदी पर होगी तो बेचना पडेगा 5 फीसदी पर
बद्दी/सचिन बैंसल: केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी की दरों में बदलाव को लेकर हिमाचल प्रदेश के उद्योग संगठनों ने सवाल उठाए हैं। प्रदेश के प्रमुख उद्योग संगठन लघु उद्योग संघ ने कहा है कि बाकी चीजों के लिए जो जीएसटी दरों में कमी की गई है वो तो ठीक है लेकिन गत्ता पेटी उद्योगों को इसका भारी नुक्सान झेलना पड़ेगा।
संगठन ने कहा है कि रॉ मैटेरियल पेपर पर 18 परसेंट और कोरूगेटेड बॉक्स पर पांच परसेंट जीएसटी करना सरकार का गलत फैसला है। प्रदेशाध्यक्ष अशोक कुमार राणा ने कहा कि जीएसटी की दरें पहले गत्ता उद्योग पर 12फीसदी थी अब उन्होंने 5 फीसदी कर दिया है । पहले उनके पेपर रॉ मैटेरियल पर भी 12 फीसदी ही था , और गत्ता उद्योग पर भी 12 प्रतिशत था ,लेकिन अब पेपर रॉ मैटेरियल पर 18 परसेंट कर दिया है अब गत्ता उद्योग रॉ मैटेरियल पर 18 पर्सेंट जीएसटी देगा और अपने उत्पाद गत्ता पर 5 फीसदी ही मिल पाएगा जिससे कि उसकी 13 परसेंट का नुकसान जाएगा जो उसकी बुक्स में जमा हो जाएगा ।
इस प्रकार हर महीने 13 परसेंट का नुकसान यानी उसकी वर्किंग कैपिटल ब्लॉक हो जाएगी। 13 परसेंट जो बुक्स में जमा होगी उसका रिफंड किस प्रकार सरकार से मिलेगा यह कोई नीति क्लियर नहीं है जीएसटी के चक्कर में ही फस कर रह जाएगा ,पहले ही गत्ता उद्योग में वर्किंग कैपिटल की बहुत ज्यादा शॉर्टेज है क्योंकि पेमेंट बहुत देरी से मिलती है अब 13 परसेंट के वर्किंग कैपिटल के बुक हो जाने से गत्ता उद्योग में कैपिटल लगभग खत्म हो जाएगी जिससे कि अब गत्ता उद्योग बिल्कुल नहीं चल पाएंगे या उन्हें बंद करने पड़ेंगे।
पहले ही ब्याज का बहुत ज्यादा बोझ गत्ता उद्योग पर पड़ रहा है । अशोक राणा ने कहा कि सरकार से हमारी डिमांड है गत्ता उद्योग पर जीएसटी की दर 18 परसेंट रखी जाए या फिर क्राफट पेपर पर भी 5 फीसदी कर दिया जाए अन्यथा उद्योग वर्किंग कैपिटल की शॉर्टेस्ट से बिल्कुल बंद हो जाएंगे