टूटे हुए बांधों की मुरम्मत के लिए युद्धस्तरीय कार्य में जुटे बीएसएफ, पुलिस विभाग और लोग
रुपनगरः बारिश बंद होने से जहां लोगों ने थोड़ी राहत की सांस ली है। वहीं अब पहाड़ी इलाकों में से बाढ़ का पानी डैमों में आने के चलते लोगों को चिंता सताने लगी है। डैमों के नजदीकी इलाके के लोगों के मन में फिक्र है कि कहीं फिर से पानी न आ जाए। वहीं भाखड़ा डैम से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा को भी बढ़ा दिया गया है। इस बात की जानकारी डिप्टी कमिश्नर रुपनगर वर्जित वालिया ने दी। डीसी ने बताया कि भाखड़ा बांध से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा 75,000 क्यूसेक से बढ़ाकर 80,000 से 85,000 क्यूसेक की जा रही है, जिसके लिए नंगल और श्री आनंदपुर साहिब के कुछ गांवों को अपने घर खाली करके ऊंचे स्थानों या राहत शिविरों में जाने के निर्देश दिए गए हैं।
नंगल भाखड़ा डैम की जलस्तर 1680 के करीब खतरे के निशान को टच करने के लिए मात्र 1 फुट नीचे है, परंतु सतलुज नदी में पानी तो बढ़ गया है। अभी तक नंगल के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर रोपड़ चमकौर इत्यादि सतलुज में पानी का स्तर कम हुआ है और भाखड़ा डैम से फाटक और ज्यादा खोलने के बाद इसका असर क्या होता है देर रात तक पता चलेगा।
चमकौर साहब के पास बसे गांव में टूटे बांध की मुरम्मत में जिला पुलिस पुलिस प्रशासन व मिलिट्री बांध को बचाने के लिए जुटी हुई है। समस्त गांव के लोग वहां पर एकत्रित होकर बांध को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। रोपड़ के जिलाधीश खुद 3 दिन से इसको बचाने के लिए टीम का नेतृत्व कर रहे हैं तथा खुद निरीक्षण करते हुए कार्य में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि बीएसएफ वाले लगातार 40 घंटे से बांध को बचाने के लिए जुटे हुए हैं। डीसी ने लोगों से अपील की कि लोग किसी भी प्रकार की अफवाहों को न फैलाएं और न ही अफवाहों पर ध्यान दें, क्योंकि स्थिति अब कंट्रोल में है और रात को भी कार्य लगातार चल रहा है।