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Google Map पर User ने देखा अजीब चेहरा, वैज्ञानिकों ने बताया पूरा सच

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नई दिल्ली: सहारा रेगिस्तान में दबे हुए यूएफओ से लेकर अंटार्कटिका के रहस्यमयी दरवाजों तक गूगल मैप्स यूजर्स ने पिछले कुछ सालों में दर्जनों अनोखी चीजें खोजी हैं। अब हाल ही में एक अजीबोगरीब चेहरा लोगों को मैप पर नजर आया तो चलिए आपको बताते हैं कि यह रहस्यमयी चेहरा क्या है और कहां पर देखा गया।

डेली मेल की रिपोर्ट्स के अनुसार, गूगल मैप्स के यूजर्स ने चिली में एक पर्वत की चोटी पर एक रहस्यमय चेहरा देखा है। यह चेहरा देश के दक्षिण में एख सुदूर द्वीप पर स्थित है। कुछ दर्शकों ने इस चेहरे को लेकर दावा किया है कि यह एलियन बेस का भी हो सकता है।

आखिर क्या है एलियन बेस?

यूएफओ हंटर स्कॉट सी वारिंग जिन्होंने इस चेहरे को देखा था उन्होंने पूछा क्या ये एलियन हैं? हमारे ब्रह्मांड में सबसे पुराने एलियंस को ऐसी शक्तियों वाले देवदूत या राक्षस के तौर पर देखा जा सकता है यहां तक कि भगवान या देवताओं के तौर पर भी हालांकि वारिंग का मानना है कि यह कोई एलियन बेस हो सकता है परंतु हर कोई इस बात से सहमत नहीं है। वास्तव में वैज्ञानिकों का कहना है कि भ्रामक दृश्य के लिए बहुत ही सरल व्याख्या है। वारिंग ने गूगल मैप्स पर खोजबीन करते समय 55°32’35″S, 69°15’56″W निर्देशांक पर यह चेहरा देखा था।

यूट्यूब पर पोस्ट किया वीडियो

उन्होंने अपनी खोज के बारे में खुलासा करते हुए एक यूट्यूब पर वीडियो भी शेयर किया है। ऐसे में कई उत्साहित एलियन शिकारियों ने तुरंत इस पर टिप्पणी की। एक यूजर ने टिप्पणी की है कि मुझे अंटार्कटिका में कुछ मिले थे मैं यह पता नहीं लगा पाया कि वे क्या थे या क्या हैं। पहले मैंने सोचा कि वे किसी तरह की डिजिटल त्रुटि थी परंतु अब मुझे लग रहा है कि आप सही है और ये प्राचीन नास्का ग्लिफ के जैसे हो सकते हैं परंतु यह अच्छी खोज है दोस्त।

अन्य यूजर ने कहा कि यह सचमुच अब तक की सबसे जरुरी खोज है शाबाश। एक और ने लिखा कि आप सबसे अच्छे हैं आपके प्रयासों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

एक्सपर्ट्स ने बताई सच्चाई

कुछ एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि इसके पीछे एक बहुत अच्छा कारण है सभी तरह की भूवैज्ञानिक संरचनाओं को गलती से चेहरा या खोपड़ियां समझ लिया जाता है परंतु जब हमारा सामना जटिल और अलग-अलग पैटर्न वाली संरचनाओं से होता है तो दिमाग इस शोरगुल वाली गतिशील जानकारी को उन पैटर्नों और वस्तुओं में बदल देता है जिनको हम समझ सकते हैं। दिमाग इसको सही कर लेता है परंतु कुछ पूर्वाग्रह त्रुटियों का यह कारण बनते हैं जो हमारी धारणाओं को बिगाड़ देते हैं परंतु विश्वविद्यालय के चेहरे की पहचान के एक्सपर्ट्स डॉ. रोबिन क्रेमर ने बताया कि हमारा चेहरा पहचान तंत्र को पहचानने में काफी अच्छा हो चुका है।

आखिर क्या होता है परेइडोलिया?

क्रेमर ने कहा कि जहां पर चेहरे हैं वहां चेहरों को नजरअंदाज करने की जगह जहां कोई चेहरा भी नहीं है। वहां कभी-कभी चेहरे देखकर सावधानी बरतना ज्यादा समझदारी की बात है। वैज्ञानिक इस घटना को पैरेइडोलिया कहते हैं जो कि निर्जीव वस्तुओं में सार्थक पैटर्न देखने की प्रवृत्ति है। फेस पैरेइडोलिया यह बताया है कि हम भूवैज्ञानिक संरचनाओं में और अन्य किसी भी चीज में चेहरे क्यों देख पाते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि चेहरों के प्रति हमारी संवेदनशीलत इसलिए विकसित हुई है क्योंकि इससे हमारे पूर्वजों को मित्र ढूंढने और शत्रुओं को पहचानने में मदद मिली।

पैरेइडोलिया की उच्च दर किसी व्यक्ति के अलौकिक में विश्वास करने के प्रति पूर्वाग्रह का संकेत हो सकती है। 2012 में हुए एक फिनिश अध्ययन में यह पाया गया है कि धार्मिक या अलौकिक विश्वास रखने वाले लोगों में रैंडम उत्तेजनाओं में चेहरे दिखने की संभावना ज्यादा होती है। इससे यह समझा जा सकता है कि क्यों एलियन हंटर को भूवैज्ञानिक संरचनाओं में चेहरे या पैटर्न इतनी बार मिलते हैं।

डॉ. वार्डले ने इसका निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि ज्यादातर लोगो जो चीजों में चेहरे देखते हैं वह पहचान लेते हैं कि ये चेहरे वास्तविक नहीं हैं। ऐसे में समस्या उस समय खड़ी होती है जब लोग दृश्य पैटर्न की ऐसी व्याख्या करते हैं जिसका कोई अर्थ ही नहीं होता या जब उन्हें वास्तविक धारणाओं और भ्रामक धारणाओं के बीच अंतर करने में दिक्कत आती है।

 

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