नई दिल्ली: टैरिफ को लेकर अमेरिका के दबाव के बीच बीते दिन एक रिपोर्ट सामने आई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत की कई सरकारी तेल रिफाइनरी कंपनियों ने रुस से कच्चे तेल की खरीद पर रोक लगा दी है। रिपोर्ट में सूत्रों के अनुसार, यह बताया गया था कि भारत की इन सरकारी कंपनियों ने पिछले हफ्ते से कच्चा तेल इंपोर्ट नहीं किया है। अब इस बात को लेकर सूत्रों के जरिए एक अधिकारिक बयान भी आया है। इस बयान में रुसी तेल रोकने की रिपोर्ट्स को गलत बता दिया गया है। सरकारी सूत्रों ने कहा है कि देश की एनर्जी खरीद बाजार की ताकतों और राष्ट्रीय हितों पर आधारित है और उनके पास भारतीय तेल कंपनियों के द्वारा रुसी आयात रोकने की कोई भी रिपोर्ट नहीं है।
एक अन्य सूत्र ने बताया कि भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनियां रुसी आपूर्तिकर्ताओं से तेल जारी करना रख रही हैं। उनकी आपूर्ति संबंधी फैसले कीमत, कच्चे तेल की गुणवत्ता, भंडार, रसद और अन्य आर्थिक फैक्टर्स पर होते हैं। कल आई रिपोर्ट में यह बताया गया था कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और मैंगलोर रिफाइनरी पेट्रोकेमिकल जैसी रिफाइनरी कंपनियों ने रुसी तेल की खरीद को अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है। अब ये कंपनियां तेल खरीदने के लिए मिडिल ईस्ट और अफ्रीका की ओर बढ़ रही हैं।
रुस तेल रोकने वाली रिपोर्ट का स्वागत करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि संभवत तौर पर कच्चे तेल की खरीद बंद हो सकती है। उन्होंने इस संभावना को एक अच्छा कदम बताया है। जब ट्रंप ने यह पूछा गया कि क्या उन्होंने भारत पर जुर्माने या पीएम से बात करने का कोई प्लान बनाया है तो इस पर बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि मुझे सुनने में आया है कि भारत अब रुस से तेल नहीं खरीदेगा मैंने ऐसे सुना है परंतु मुझे जानकारी नहीं है कि ये सही है या गलत यदि ऐसा है तो यह अच्छा कदम है।
अमेरिका ने बनाया भारत पर दबाव
बुधवार रात में अचानक से ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बड़ा ऐलान कर दिया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लागू करने की बात कही है। यह टैरिफ 1 अगस्त से लागू होने वाला था परंतु इसको टालकर अब 7 अगस्त तक का कर दिया गया है। वहीं अमेरिका ने रुस से तेल खरीदने और डिफेंस इम्पोर्ट को लेकर भी जुर्माने का ऐलान कर दिया है।
ट्रंप ने जुर्माने लगाने के पीछे तर्क भी दिया था। उसने कहा था कि भारत रुस से तेल और डिफेंस इम्पोर्ट न करें ताकि उसकी अर्थव्यवस्था में मदद न मिल पाए। इससे रुस पर दबाव बनाकर युक्रेन से युद्ध भी खत्म हो सकता है।