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Punjab News: स्कूलों में 12वीं तक के छात्रों को पढ़ाया जाएगा नशा मुक्ति विषय, आज CM Mann और Kejriwal करेंगे शुरुआत, देखें वीडियो

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फाजिल्काः पंजाब सरकार द्वारा नशे के खिलाफ लगातार सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। वहीं अब मान सरकार की अगुवाई में स्कूलों में आज से नशा मुक्ति विषय पढ़ाने की शुरूआत की जा रही है। इस पहल की शुरुआत आज मुख्यमंत्री पंजाब भगवंत मान, आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस और आम आदमी पार्टी के नेता फाजिल्का जिले के जलालाबाद ब्लॉक के अरनीवाला शेख शुभान स्थित स्कूल ऑफ एमिनेंस से नशे के खिलाफ स्कूली पाठ की शुरुआत करेंगे।

नशे के खिलाफ सेमिनार, चर्चा और विचार-विमर्श लगभग सभी सरकारों द्वारा किए जाते हैं। प्रशासनिक कार्रवाई लगभग सभी सरकारों द्वारा की जाती है, लेकिन पंजाब सरकार ने इस अभियान को प्रभावी बनाने के लिए एक अनूठी पहल की है। आप नेताओं का कहना है कि अब बदलाव की दिशा में निर्णायक कदम उठाया जा रहा है। लंबे समय तक नशे ने यहां के युवाओं को बर्बाद किया, घर-परिवार तबाह हुए और समाज पर गहरी चोट पहुंची है, लेकिन अब आप सरकार ने इस समस्या की जड़ से खत्म करने का फैसला किया है। यह कदम सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं बल्कि पंजाब के भविष्य को सुरक्षित करने का संकल्प है।

इसी के चलते आज यानी 1 अगस्त से पंजाब के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों को नशे से बचाव का वैज्ञानिक पाठ्यक्रम पढ़ाने की शुरुआत की जा रही है। इस पाठ्यक्रम को नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी की टीम ने तैयार किया है और इसे देश के कई शिक्षा विशेषज्ञों ने भी सराहा है। यह कार्यक्रम 27 हफ्तों तक चलेगा, जिसमें हर 15वें दिन 35 मिनट की विशेष कक्षा होगी। इन कक्षाओं में बच्चों को सिखाया जाएगा कि नशे को कैसे ‘ना’ कहें, दबाव में गलत रास्ता कैसे न चुनें और सही फैसले लेने के लिए अपने विचारों को मजबूत कैसे करें।

इस पाठ्यक्रम को पहले अमृतसर और तरनतारन के 78 स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया गया था। नतीजे बेहद सकारात्मक रहे। 9,600 छात्रों में से 90 प्रतिशत ने माना कि चिट्टा जैसी ड्रग की एक बार की खुराक भी लत लगा सकती है। पहले जहां आधे छात्र यह मानते थे कि सिर्फ इच्छाशक्ति से नशा छोड़ा जा सकता है, अब यह संख्या घटकर मात्र 20 प्रतिशत रह गई। इन आंकड़ों ने यह साबित किया कि सही शिक्षा से बच्चों की सोच बदली जा सकती है और यही बदलाव समाज को नई दिशा दे सकता है।

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