जालंधर, ENS: जालंधर के फिल्लौर से विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी को कांग्रेस ने पिछले साल पार्टी से निलंबित कर दिया था। लेकिन आज कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग की अगुवाई में फिल्लौर से विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी कांग्रेस में वापस शामिल किया गया। दरअसल, लुधियाना के उपचुनाव को लेकर दाखा में कांग्रेस पार्टी के प्रोग्राम के दौरान राजा वडिंग की अगुवाई में विक्रमजीत सिंह को पार्टी में शामिल किया गया। इस दौरान पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा सहित कई दिग्गज नेता मौजूद रहे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि विक्रमजीत सिंह की कांग्रेस में वापसी के दौरान भारत भूषण आशु, सासंद चरणजीत सिंह चन्नी, राणा गुरजीत सिंह सहित कई नेता गैर हाजिर रहे।
बता दें कि बीते दिन कांग्रेस सासंद व पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कमलजीत सिंह कड़वल को पार्टी में शामिल करवाया था। इस दौरान कड़वल की पार्टी में शामिल करवाए जाने के दौरान राजा वडिंग, सुखजिंदर रंधावा सहित कई नेता गैर हाजिर रहे थे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कांग्रेस पार्टी दो गुटों में बंट गई है। जिसमें कहा जा रहा है कि एक गुट चन्नी ग्रुप का है और दूसरा ग्रुप कांग्रेस प्रधान राजा वडिंग का है। हालांकि पार्टी की ओर से चन्नी और राजा वडिंग की ओर से पार्टी में दरार को लेकर कोई पुष्टि नहीं की गई है और ना ही पार्टी के किसी नेता की ओर से कोई बयान सामने आया है, लेकिन नेताओं को पार्टी में शामिल करवाए जाने के दौरान सीनियर नेताओं का गैर हाजिर रहना कई सवाल खड़े कर रहा है।
वहीं पार्टी में बीते दिन शामिल हुए पूर्व विधायक और कांग्रेस के सीनियर नेता सिमरजीत सिंह बैंस का कड़वल से छतीस का आंकड़ा है। जिस कारण बैंस ने कड़वल की शमूलियत पर कई सवाल खड़े किए थे। वहीं बैंस ने इसे पार्टी प्रोटोकाल का उल्लंघन कहा था। बैंस का कहना था कि बिना प्रदेश प्रधान के नोटिस में लाए बिना कांग्रेस में किसी को भी शामिल करना गलत है। वहीं आज कांग्रेस प्रधान राजा वडिंग की ओर से विक्रमजीत चौधरी को पार्टी में शामिल करवाया जा रहा है। दरअसल, संतोख चौधरी के निधन के कांग्रेस पार्टी ने जालंधर से चरणजीत सिंह चन्नी को टिकट दी थी। जिसके बाद से नाराज चल रहे विक्रमजीत सिंह चौधरी ने चन्नी के खिलाफ बगावत शुरू कर दी थी। लेकिन आज राजा वडिंग उन्हें दाखा में पार्टी के प्रोग्राम में कांग्रेस में शामिल करवाने जा रहे है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि चन्नी इसका विरोध पार्टी हाईकमान को कर सकते है।