अमृतसरः श्री अकाली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी का श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार नियुक्ति किए जाने को लेकर बड़ा बयान सामने आया है। दरअसल, वर्तमान समय में बने हालातों के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण एलान करते हुए एडवोकेट धामी ने कहा है कि सिख पंथ के अंदर सिंह साहिबान और हर जत्थेबंदी का सम्मान कायम रखा जाएगा। जत्थेदारों की पदो के संबंध में भविष्य में सिख संप्रदाओं की राय मशवरे को अनदेखा नहीं किया जाएगा।
एडवोकेट धामी ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार की योग्यता, नियुक्ति, कार्य क्षेत्र और सेवा मुक्ति के संबंध में जल्द ही नियम तय किए जाएंगे। इस कार्य के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा। इस संबंध में आने वाले बजट इजलास में मत लेकर स्वीकृति के लिए जाएगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि जत्थेदारों की इन सम्मानित पदवियों पर एक व्यक्ति एक पद की नीति लागू की जाए। इसी तरह श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के खाली पड़े पद के लिए पंथक संप्रदाओं और जत्थेबंदियों की सलाह से जल्द ही नियुक्ति कर दी जाएगी।
अध्यक्ष ने कहा कि सिख रहुरितां, परंपराओं और इतिहास हमारा मार्गदर्शन हैं, इनको नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। समूहिक तथा संगठित प्रभाव के साथ आगे बढ़ा जाएगा, ताकि कौम को समय-समय पर पेश आने वाली चुनौतियों का जत्थेबंदक भावना के तहत सामना किया जा सके। एडवोकेट ने कहा कि पहले से ही कौम की दुश्मन ताकतें सिख संस्थाओं और सिख शक्ति को कमजोर करने के लिए पूरा जोर लगा रही हैं। यदि कौम ने एकजुटता का प्रभाव नहीं डाला तो सिख विरोधी शक्तियां अपनी मंशा में सफल होती रहेंगी। एडवोकेट धामी ने स्पष्ट किया कि तख्त साहिबान पर सेवा निभाने वाले जत्थेदार साहिबान की रुखसती एक सम्मानजनक ढंग से की जाएगी।
यह भी प्रयास किया जाएगा कि पिछले समय दौरान सेवा मुक्त किए गए सिंह साहिबान को उनकी निभाई गई सेवाओं के बदले सम्मानित किया जाए। एडवोकेट धामी ने कहा कि वर्तमान हालातों के मद्देनजर श्री अकाली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष की सेवा बड़ी चुनौती से कम नहीं है, जिसके प्रति वह सचेत भी हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों इस्तीफा देने के बाद सभी धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक धाराओं के साथ-साथ सम्मानित सिंह साहिबान ने सेवा संभालने की प्रेरणा दी थी, जिसके लिए वह सभी का धन्यवाद करते हैं और प्रयास करेंगे कि सभी संप्रदाओं और संस्थाओं द्वारा प्रकट किए गए भरोसे पर खरा उतर सकें।