Highlights:
- 36 लाख रुपये का घोटाला: दो सरकारी अधिकारियों ने मिलकर सरकारी धनराशि का दुरुपयोग किया।
- 4 वर्षों बाद गिरफ्तारी: आरोपी पिछले चार साल से गिरफ्तारी से बचते फिर रहे थे।
- पंजाब सरकार का सख्त रुख: राज्य सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
चंडीगढ़, 28 अक्टूबर 2024: पंजाब सतर्कता ब्यूरो (VB) ने एक बड़े भ्रष्टाचार अभियान के तहत 36,67,601 रुपये के वेतन घोटाले में शामिल दो सरकारी कर्मचारियों, सेवानिवृत्त प्रधान शिक्षक गुरमेल सिंह और बर्खास्त क्लर्क सुखविंदर सिंह, को गिरफ्तार किया है। इन दोनों पर अपने पदों का दुरुपयोग कर सरकारी राशि को व्यक्तिगत फायदे के लिए इस्तेमाल करने का गंभीर आरोप है। यह गिरफ्तारी चार साल तक फरार रहने के बाद की गई है, जो इस मामले में कानून की गंभीरता और सतर्कता ब्यूरो के कड़े रुख को दर्शाती है।
घोटाले का खुलासा:
विभागीय जांच के बाद यह पाया गया कि 2015 से 2017 तक, गुरमेल सिंह और सुखविंदर सिंह ने अपने चार रिश्तेदारों को फर्जी शिक्षक दिखाकर सरकारी वेतन की रकम को उनके खातों में ट्रांसफर किया। इस घोटाले की शुरुआती शिकायत जालंधर के तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने की थी, जिसके बाद मामले की जांच शुरू हुई। इसके बाद यह तथ्य सामने आए कि दोनों ने मिलकर 35,81,429 रुपये वेतन के रूप में इन फर्जी शिक्षकों के खातों में जमा कराए थे। इसके अलावा, 2013 से 2015 के बीच, सुखविंदर सिंह ने सरकारी स्कूल निहालुवाल में तत्कालीन ड्रॉइंग और डिसबर्सिंग ऑफिसर, सतपाल सिंह, के फर्जी हस्ताक्षरों का उपयोग कर 86,172 रुपये अपने निजी लाभ के लिए स्थानांतरित किए थे।
आरोपी और कानून की धाराएँ:
इस मामले में पुलिस स्टेशन शाहकोट, जिला जालंधर में एफआईआर संख्या 53, दिनांक 20 मार्च 2018 के तहत धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात), धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र), और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(1)(ए) के तहत केस दर्ज किया गया है। इन दोनों आरोपियों के साथ-साथ चार अन्य रिश्तेदारों – सतनाम सिंह, अमृतपाल सिंह, रंजीत कौर व गुरविंदर कौर – पर भी मामले में शामिल होने का आरोप लगाया गया है।
पंजाब सरकार ने अपने राज्य में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए सतर्कता ब्यूरो के माध्यम से यह अभियान शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की गहन जांच करना और दोषियों को सख्त सजा दिलाना है। इस मामले में गिरफ्तारी से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है और किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं करेगी।
गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी पिछले चार सालों से कानून की गिरफ्त से बचते फिर रहे थे। सतर्कता ब्यूरो की इस कार्रवाई से सरकारी कर्मचारियों में कड़ा संदेश गया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में कोई भी दोषी नहीं बचेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “इस प्रकार के घोटालों से सरकारी कोष को भारी नुकसान पहुंचता है, और इसके खिलाफ कार्रवाई कर सरकार भ्रष्टाचार पर कड़ा नियंत्रण लगाने के लिए दृढ़ संकल्पित है।”
गिरफ्तार किए गए गुरमेल सिंह और सुखविंदर सिंह को कल अदालत में पेश किया जाएगा, जहां से उनकी पुलिस हिरासत के बारे में निर्णय लिया जाएगा। सतर्कता ब्यूरो ने कहा है कि इस घोटाले में शामिल अन्य आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा। इस मामले में अदालत की कार्यवाही के बाद इनकी भूमिका और साक्ष्यों के आधार पर न्यायिक कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहराई से जांच की जा रही है और अन्य संभावित आरोपियों को भी चिन्हित किया जा रहा है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सतर्कता ब्यूरो का अभियान
यह घटना सतर्कता ब्यूरो के उस व्यापक अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत राज्य में विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच की जा रही है। पंजाब सरकार भ्रष्टाचार की जड़ों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है, और यह अभियान उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पंजाब में भ्रष्टाचार का मसला लंबे समय से जटिल समस्या बना हुआ है। ऐसे में सतर्कता ब्यूरो का यह कदम न सिर्फ भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में सहायक है, बल्कि यह आम जनता के बीच प्रशासन में पारदर्शिता और ईमानदारी के प्रति विश्वास को भी पुनः स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में ही राज्य में कई भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से कई में वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं।