ऊना/सुशील पंडित : ऊना में अफीम के शौकीन लोगों की खेती को पुलिस लगातार काटती जा रही है। बड़ी आशाओं के साथ अवैध तरीके से अफीम की खेती करने वाले अब सामने आने लगे हैं। पिछले दिनों अंबोटा में एक व्यक्ति का अफीम के फूलों से भरा खेत पुलिस ने उखाड़ दिया था अब बंगाणा तहसील के चूरड़ी में अफीम का तथाकथित किसान पकड़ा गया है। अफीम की खेती बिना सरकार की अनुमति से नहीं की जा सकती। हिमाचल प्रदेश में तो वैसे भी अफीम की खेती पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसके बावजूद जगह जगह लोग अफीम के पौधे लगा रहे हैं। यदि इसी तरह अफीम के खेत पकड़े गए तो उन लोगों के हौंसले भी बढ़ जाएंगे जो अफीम खेती को कानूनन मंजूरी दिलवाना चाहते हैं।
मंगलवार को बंगाणा पुलिस ने चूरड़ी गांव के रफीक मोहम्मद पुत्र अनायत खान को अफीम की खेती के साथ गिरफ्तार किया है। रफीक ने अपने घर के आंगन में एक बाड़ा बना रखा था जिसमें अफीम के फूल लगे पौधे लहलहा रहे थे। किसी को शायद अफीम के पौधों की जानकारी थी तो उसने पुलिस को सूचना दे दी कि फलां गांव के एक घर के बाड़े में अफीम की अच्छी खासी खेती लहलहा रही है। पुलिस ने जब रफीक के घर पर छापा मारा तो सूचना पुख्ता पाई गई। अब उसके विरुद्ध बंगाणा थाने में मादक द्रव्य अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
हिमाचल प्रदेश में अफीम की खेती कोई नई बात नहीं है। प्रतिवर्ष बाजार में हिमाचल से निकली अफीम की खेप जगह जगह पहुंच रही है। जिस स्तर पर हिमाचल प्रदेश अफीम और चूरा पोस्त को पैदा कर रहा है उस हिसाब से अब सरकार के पास इसे कानूनन मंजूरी देने के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं बचता।
अफीम उगाने वाला रुक नहीं रहा और पुलिस के पास इतनी ताकत नहीं है कि वह पूरे हिमाचल के अफीम के खेतों को खोद सके। यदि सरकार हिमाचल में अफीम की खेती को कानूनन मंजूरी दे देता है तो राज्य के आत्मनिर्भर बनने के रास्ते खुल जाएंगे। न सिर्फ अफीम बल्कि भांग की खेती से भी हिमाचल सरकार की आय में बढ़ौतरी होगी। शराब से तो सरकार खूब धन कमा रही है। इसी महीने शराब के ठेकों की बोली से भी सरकार को काफी उम्मीदें हैं। जिस तरह लोग शराब पीते हैं उसी प्रकार हिमाचल के गांव गांव अफीम और भांग का सेवन किया जाता है। अंग्रेजों के समय से हुए शोध भी बताते हैं कि अफीम और भांग शराब से अधिक हानिकारक नहीं है। अपितु शराब का सेवन सड़क हादसों से लेकर गृह क्लेश और अपराध के मामलों में इजाफा करता है।