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पंजाबः D Pharmacy के फर्जी सर्टिफिकेट से दुकानें चला रहे 9 गिरफ्तार, देखें वीडियो

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लुधियानाः पंजाब में हुए डी फार्मेसी घोटाले में विजिलेंस ब्यूरो ने नौ केमिस्टों को गिरफ्तार कर लिया है। ये केमिस्ट फर्जी तरीके से हासिल किए डी फार्मेसी सर्टिफिकेट के सहारे सालों से दवाइयां बेच रहे थे। यह सर्टिफिकेट छह संस्थानों से हासिल किए गए थे। जांच में साफ हुआ कि 2005 से 2022 तक 17 सालों में 143 विद्यार्थियों को मिलीभगत कर फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए गए। आरोपियों ने पंजाब स्टेट फार्मेसी काउंसिल (पीएसपीसी) में प्रवेश व दाखिला भी फर्जी तरीके से लिया गया। विजिलेंस ने सभी आरोपियों को केस में नामजद कर लिया है, साथ ही आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। अब तक इस मामले में अब तक 12 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। 

विजिलेंस की ओर से गिरफ्तार किए गए आरोपियों में उमेश कुमार निवासी भादसों जिला पटियाला, मोहम्मद असलम निवासी मालेरकोटला शहर, अब्दुल सतार निवासी नेशनल लसोसोई जिला मालेरकोटला, मोहम्मद मनीर निवासी गांव बिंजोकी खुर्द जिला मालेरकोटला शामिल हैं। गुरदीप सिंह निवासी मंडी गोबिंदगढ़, पुनीत शर्मा निवासी बहादुरगढ़ जिला पटियाला, रविंदर कुमार निवासी गांव छप्पर जिला पटियाला, अशोक कुमार निवासी बरनाला शहर और मनिंदर सिंह निवासी राहों रोड लुधियाना शहर पकड़े गए हैं।

वहीं, राज्य के कई कॉलेजों के प्रबंधक, फर्जी सर्टिफिकेट हासिल करने वाले व सरकारी स्टाफ सरकार के निशाने पर हैं। विजिलेंस अधिकारियों की मानें तो ऐसा कर निजी संस्थानों ने लाखों रुपये कमाए हैं। 2 से 4 लाख तक डी फार्मेसी के फर्जी सर्टिफिकेट बिके हैं। विजिलेंस के मुताबिक पकड़े गए सारे आरोपियों ने मिलीभगत कर निजी फार्मेसी कॉलेजों से अपनी डी फार्मेसी के सर्टिफिकेट हासिल किए थे। जिन कॉलेजों से आरोपियों ने सर्टिफिकेट हासिल किए थे, उनमें पंजाब मल्टीपर्पज मेडिकल इंस्टीट्यूट सेहना जिला बरनाला, लॉर्ड कृष्णा कॉलेज ऑफ फार्मेसी लहरगागा जिला संगरूर, ओंकार कॉलेज ऑफ फार्मेसी तहसील सुनाम जिला संगरूर, मां सरस्वती कॉलेज ऑफ फार्मेसी अबोहर जिला फाजिल्का, जीएचजी कॉजेज ऑफ फार्मेसी रायकोट जिला लुधियाना व लाला लाजपत राय कॉलेज ऑफ फार्मेसी जिला मोगा शामिल है।

राज्य के निजी डी फार्मेसी संस्थाओं में खाली पड़ी सीटों को भरने के लिए प्राइवेट संस्थानों ने पंजाब स्टेट फार्मेसी काउंसिल पीएसपीसी के दो पूर्व रजिस्ट्रारों प्रवीन कुमार भारद्वाज व डॉ. तेजबीर सिंह व अशोक कुमार लेखाकार मौजूदा सुपरिंटेंडेंट के साथ मिलकर खेल किया था। इन्होंने माइग्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त किए बिना रिश्वत लेकर दूसरे राज्यों के विद्यार्थियों को दाखिला दिया था। इसके अलावा कई विद्यार्थियों ने निजी तौर पर मेडिकल या नॉन मेडिकल स्ट्रीम में 12वीं की योग्यता के जरिए डी फार्मेसी में दाखिला लिया, जबकि यह योग्यता रेगुलर कॉलेजों व साइंस प्रैक्टिकल के साथ होती है।

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