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बारिश के कहर से बीबीएन का फार्मा हब संकट में

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नालागढ़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की अध्यक्षा अर्चना त्यागी ने नितिन गडकरी को भेजा पत्र
अगर स्थिति नहीं संभली तो पूरे देश में हो जाएगी दवाओं व मैडीकल उपकरणों की कमी
बददी/सचिन बैंसल: एशिया के सबसे बडे फार्मा हब बददी- बरोटीवाला नालागढ़ में चरमराते औद्योगिक आधारभूत अधोसंरचना ढांचे को लेकर नालागढ़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने चिंता जाहिर की है। एन.आई.ए ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर उनका ध्यानाकर्षण किया है और त्वरित संज्ञान लेकर कार्यवाही करने का आग्रह किया है। नालागढ़ उद्योग संघ की अध्यक्षा अर्चना त्यागी, संरक्षक रामगोपाल अग्रवाल व महासचिव राव नवीन कुमार ने पत्र में प्राकृतिक आपदा के कारण फार्मा और टैक्सटाईल हब में औद्योगिक ढांचा ध्वस्त हो गया है।

बी.बी.एन. एक टापू बनकर रह गया है। उन्होने लिखा है कि हालांकि एन.एच.ए.आई ने कुछ वैकल्पिक पुल बनाए थे लेकिन वो तो ध्वस्त हो ही गए थे साथ में बददी-पिंजौर का मेन पुल भी बह गया है। इस कारण से बी.बी.एन की उत्तर भारत व हरियाणा सहित दिल्ली से कनेक्टिविटी टूट गई और 10 हजार ट्रकों का आवागमन पूरी तरह से थम गया है। इसी तरह बददी-नालागढ़ संपर्क मार्ग भी नदी का रुप धारण कर चुका है और इस पर चलना दुश्वार हो चुका है। उन्होने केद्रीय सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से आग्रह किया कि वो एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को निर्देश दे कि ख्ंाडित हुए मार्गों की तुरंत मुरम्मत करवाए अन्यथा यहां पर रहना व उद्योग चलाना मुश्किल हो जाएगा।

वहीं अर्चना त्यागी व एनआईए उपाध्यक्ष आरआर मुसाफरु ने हवाला दिया कि सडकें व पुल टूटने से वाहनों की गति सीमा बहुत ही धीमी हो गई है परिणामस्वरुप हमें ट्रैफिक से जूझना पड रहा है। कंपनियों की लेबर न तो समय पर पहुंच रही है और न ही घर जा पा रही है। पूरे देश से हमारे कारखानों में कच्चा माल ही नहीं पहुंच पा रहा है जिसका असर धीमे उत्पादन पर पड रहा है। पूरा बीबीएन जाम से ग्रसित हो चुका है और इसका नाम जाम नगर कहा जाने लगा है। तैयार माल समय पर न जाने से हमारे आर्डर टूट रहे हैं। सुविधाएं नगण्य है सिर्फ टैक्स थोपा जा रहा है।
अगर यही हाल रहा तो पूरे देश में दवाईयों व अन्य स्वास्थ्य उपकरणों की कमी आ जाएगी क्योंकि पूरे देश की 40 फीसदी दवाएं नालागढ़ उपमंडल में बनती है। एनआईए ने कहा कि अगर समय रहते केंद्र सरकार ने स्थिति न संभाली तो बीबीएन के कारखानों के पास दूसरे राज्य जहां बेहतर सुविधाएं है पलायन करने के अलावा कोई चारा  नहीं रह जाएगा।

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