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मूत्र पथ प्रणाली से संबंधित रोगों के लिए रोबोटिक सर्जरी वरदान की तरह : डा. धर्मेन्द्र अग्रवाल

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22 वर्षीय युवक की कैंसर ग्रस्त किडनी को निकालना ही एकमात्र विकल्प बताया, पर रोबोटिक सर्जरी से उसी किडनी को बचाया

रोबोट-एडेड सर्जरी न्यूनतम रक्त स्त्राव, कम दर्द, कम निशान, कम अस्पताल में रहने और तेजी से ठीक होने को सुनिश्चित करती है

ऊना/सुशील पंडित : अधिकतर पुरूष पेशाब में खून आने व पेशब करते हुए जलन और दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं, गुर्दे से पेशाब नली तक संक्रमण के ऐसे लक्ष्ण मूत्रपथ के विभिन्न कैंसर का कारण बनते हैं। ऐसे लक्ष्णों को अनदेखा करने की बजाए मरीज तुरंत संबंधित डाक्टरों से संपर्क करे। यह बात जाने माने यूरो-आन्कोलॉजिस्ट डा. धर्मेन्द्र अग्रवाल ने ऊना में आयोजित एक प्रैस कान्फ्रेंस में कही। अब तक 550 से अधिक जटिल कैंसर सर्जरी और रोबोट ऐडेड सर्जरी कर चुके लंदन से प्रशिक्षित डा. धर्मेन्द्र अग्रवाल हाथों की बजाए ‘दा विंची’ रोबोटिक सर्जरी से मरीज को उपचार के दौरान मिलती राहत जैसे खून की बर्बादी, कम दर्द, कम निशान व तुरंत राहत संबंधी जागरूक करने के लिए शहर में पहुंचे थे। फोर्टिस अस्पताल मोहाली में यूरोलॉजी, यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जरी के कंसल्टेंट डॉ. धर्मेंद्र अग्रवाल ने बताया कि पहले उपचार के दौरान शरीर के ऐसे अंगों तक पहुंचना मुश्किल और खतरनाक था, हालांकि रोबोट से की जाने वाली सर्जरी की मदद से इन अंगों तक भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि रोबोटिक  सर्जरी पेट से संबंधित बीमारियों वाले मरीजों के लिए वरदान की तरह साबित हो रही है।
डा. अग्रवाल ने बताया कि हाल ही में पेट दर्द के साथ-साथ पेशाब में खून (हेमट्यूरिया) आने के कारण 22 वर्षीय युवक की किडनी में बने 8 सेमी का टयूमर उसकी किडनी के आधे से अधिक हिस्से पर आक्रमण कर चुका था, जो कि प्रमुख रक्त वाहिकाओं से भी जुड़ा हुआ था। उपचार में देरी से ट्यूमर का आकार बढ़ जाता और अन्य अंगों पर असर पड़ता। उक्त युवक जिसको कि सभी डाक्टरों ने किडनी को निकालना ही एकमात्र विकल्प बताया था, वहीं रोबोट-ऐडेड सर्जरी से उक्त रोगी की किडनी से उक्त टयूमर को हटाकर बाकी किडनी को बचा लिया गया। इसी तरह के कांगड़ा के एक अन्य 62 वर्षीय व्यक्ति ेके यूरिन ब्लैडर में 7 सेमी टयूमर था, जो कि पेशाब में खून आने के चलते बढ़ रहे संक्रमण के कारण मांसपेशियों में घुस रहा था। वहां स्थानीय अस्पताल में करवाए गए उपचार के बाद भी राहत न मिलने के कारण फोर्टिस में डा. अग्रवाल व उनकी टीम ने रोबोट-ऐडेड रेडिकल सिस्टेक्टोमी के जरिए उसके पूरे यूरिनरी ब्लैडर को हटाकर मूत्रवाहिनी को छोटी आंत के एक खंड से जोड़ा गया और एक नया चैनल बनाया गया। उन्होंने बताया कि दोनों मरीज पूरी तरह से स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
डॉ. धर्मेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि हाथों की बजाए रोबोटिक सर्जरी मरीज के लिए कम तकलीफ व ज्यादा लाभदायक साबित हुई है। उन्होंने बताया कि मरीज के आप्रेशन के दौरान शरीर के जिन हिस्सों तक हाथ पहुंचाना मुश्किल था, अब 360 डिग्री तक घूमने वाले रोबोट की मदद से वहां पहुंच की जा सकती है। उन्होंने बताया कि कैंसर को जड़ से खत्म करने के लिए रोबोटिक सर्जरी कैंसर के मरीजों के एक वरदान की तरह है। उन्होंने बताया कि रोबोट की मदद से रोगी के शरीर में डाले गए एक विशेष कैमरे के माध्यम से ऑपरेटिव एरिया का 3डी व्यू देखकर कर उसको पूरी तरह से तंदरूस्त किया जा सकता है।

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