जालंधर, ENS: करतारपुर के बसरामपुर में दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस वे पर पीलर के काम के दौरान करीब 80 फुट गहरे बोरबेल में गिरे हरियाणा के जींद निवासी सुरेश को बचाने के लिए लगातार प्रयास किए गए। लेकिन 45 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद इंजीनियर सुरेश की मौत हो गई। जिसका शव जालंधर के सिविल अस्पताल में लाया गया है। दरअसल, शनिवार शाम को 7 बजे बोरवेल में गिरे सुरेश को निकालने के लिए एनडीआरएफ की टीम कड़ी मशक्त कर रही थी। लेकिन आज कुछ समय पहले उसकी मौत हो गई।
बता दें कि आज सुबह सुरेश को बचाने के लिए जो बचाव कार्य चलाए गए, जहां टीम को सबसे बड़ी बाधा नजदीक में ही स्थित एक पानी से भरा तालाब (छप्पड़) पैदा कर रहा था। तालाब के कारण NDRF की टीम को बार-बार अपनी बचाव कार्य की स्ट्रेटेजी बदलनी पड़ रही। लेकिन इसके बावजूद टीम सुरेश को बचा नहीं पाई। हालांकि इससे पहले देर रात को सूचना थी कि NDRF की टीम सुरेश के नजदीक पहुंच गई है और उसे निकालने वाली है, लेकिन फिर पता चला कि टीम उसे नहीं निकाल पाई।
वहीं दूसरी ओर घटना स्थल पर पहुंचे सुरेश के छोटे भाई सत्यवान ने बताया कि उन्हें रविवार सुबह घटना की सूचना मिली थी। जिसके बाद वे तुरंत जालंधर पहुंचे। सत्यवान ने बताया कि वह गांव में किसानी करता था, वह जालंधर में काम करने के लिए आया था। कंपनी अपनी और से लगातार सुरेश को बचाने में काफी मशक्त की। आज सुबह ही सुरेश के भाई ने कहा था कि मरना जीना तो परमात्मा के हाथ में है, अगर सुरेश की जिंदगी में जीना लिखा होगा तो उसे कोई नहीं मार सकता।