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विदेश में बैठे खालिस्तान समर्थक रच रहे बड़ी साजिश, जांच में हुआ खुलासा

इन देशों में बने खालिस्तानी तत्वों के सुरक्षित ठिकाने 

नई दिल्लीः अमृतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब पुलिस की कार्रवाई से विदेश में सक्रिय खालिस्तान समर्थकों की बेचैनी बढ़ गई है। कई देशों में बैठे खालिस्तान समर्थकों ने सोशल मीडिया पर भारत और पंजाब के खिलाफ मुहिम शुरु कर रखी है। सोशल मीडिया पर खालिस्तान समर्थक भारत और पंजाब के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। अमृतपाल और खालिस्तान समर्थकों पर नजर रख रही खुफिया एजेंसियों ने बीते तीन दिन के दौरान सोशल मीडिया पर भड़काऊ और सांप्रदायिक संदेशों को रिकॉर्ड पर लेना शुरु कर दिया है। दरअसल, अब तक छिपकर गतिविधियां चला रहे लोग भी खुलकर सामने आ गए हैं। खुफिया एजेंसियां, संदेश अपलोड करने वाले लोगों का पता लगाने के साथ ही कौन-कौन से देश से यह संदेश अपलोड किए जा रहे हैं, से संबंधित सुरक्षा एजेंसियों से संदेशों को साझा करने की तैयारी शुरु कर दी है। 

एजेंसियों ने यह भी पाया है कि पिछले तीन दिन के दौरान ही खालिस्तान और अमृतपाल के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर नए अकाउंट भी खोले हैं। अमृतपाल के समर्थकों ने एक वैश्विक टूलकिट तैयार कर लिया है। अब खालिस्तान समर्थक विदेशी गठजोड़ के हरकत में आने से यह साफ हो गया है कि अमृतपाल के तार कहां तक जुड़े हैं और कौन लोग फंडिंग दे रहे हैं। जांच करने पर एजेंसियों ने पाया है कि बीते तीन दिन के दौरान खालिस्तान समर्थक एजेंडा मुख्य रूप से कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया से आ रहा है और यह चारों देश इन दिनों आईएसआई समर्थित खालिस्तानी तत्वों के सुरक्षित ठिकाने बन चुके हैं। बताया जा रहा है कि अमृतपाल का समर्थन कनाडा के सिख राजनेता भी कर रहे हैं।

ये सभी भारत में लोकतंत्र की दुहाई देने के साथ ही मानवाधिकारों की चिंता और बचाव के नाम पर खालिस्तान समर्थक भावनाओं को भड़काने में लगे हैं। कनाडा के अलबर्टा से जसराज सिंह हालन, टिम एस. उप्पल, हीथर मैक फरसन, ब्रिटिश कोलंबिया से जगमीत सिंह व रणदीप सिंह सराई, ओंटारियों से सुखपाल सिद्धू व इशविंदर गहीर समेत कनाडा के सांसदों ने भी ट्विटर पर खालिस्तान और अमृतपाल के समर्थन में कॉपी-पेस्ट का सहारा लिया। इससे उनकी खालिस्तान समर्थकों से साठगांठ का पर्दाफाश हो गया है।  

भगोड़े अमृतपाल के समर्थन में कई हैशटैग का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। #WeStandWithAmritpalSingh प्रमुख है। इस हैशटैग पर कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से सबसे ज्यादा ट्वीट हो रहे हैं। यह भी खुलासा हुआ है कि इस हैशटैग पर सक्रिय अधिकांश खाते इसी माह बने हैं। ऐसी स्थिति 2020 में किसान आंदोलन के दौरान सामने आई थी। यह भी सामने आया है कि दुनिया भर के देशों में फैले खालिस्तान समर्थक परस्पर जुटे हैं और सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे के अभियान का समर्थन और प्रचार-प्रसार करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। असलियत में यह खालिस्तान संबंधी टूलकिट का हिस्सा हैं। 

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