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आवारा कुत्तों ने 6 वर्षीय बच्चे को उतारा मौत के घाट, 3 बहनों का था इकलौता भाई

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नकुड़: सहारनपुर के नकुड़ में आवारा कुत्तों ने एक बार फिर दर्दनाक घटना को अंजाम दे दिया। कुत्तों ने घर की देहरी लांगते ही 7 साल के बच्चे को निवाला बना डाला। घटना के बाद से इलाके में कुत्तों से दहशत पसरी हुई है। वहीं बच्चे की मौत का पता लगते ही परिवार में कोहराम मच गया है। घटना गंगोह क्षेत्र के गांव बिलासपुर की है। गांव निवासी विकास गुर्जर का 7 वर्षीय पुत्र कान्हा रविवार को अपने घर के पीछे ही खेलता हुआ। अपने खेत में गया। जहां उसने देखा कि 7-8 कुत्तों का झुंड एक बच्चे पर हमला कर रहा है। बच्चे ने लाठी लेकर उस बछड़े को बचाने का प्रयास किया। कुत्तों का झुंड उस पर टूट पड़ा। उसकी गर्दन मुंह में दबाकर पास ही के गेहूं के खेत में ले गए।

जहां उन्होंने मासूम बच्चे को नोच नोच कर मार डाला। काफी देर तक जब कान्हा घर नहीं पहुंचा। तो परिजन उसे ढूंढते-ढूंढते खेत की ओर गए। वहां खून से लथपथ अवस्था में बच्चे का शव देखकर परिजनों में कोहराम मच गया। मौके पर पहुंची एसडीएम ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रमैया आर, तहसीलदार राधेश्याम शर्मा, कोतवाली प्रभारी जसवीर सिंह, लेखपाल हसन फराज ने बच्चे के पिता से पोस्टमार्टम करने के लिए कहा। लेकिन पिता ने बच्चे का पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया। तो पुलिस ने पंचनामा कर बच्चे का शव परिवार को लौटा दिया। ग्रामीणों को जब घटना का पता लगा तो वे गेहूं के खेत की ओर दौड़ पड़े।

जहां उन्हें एक कुत्ता मौके पर मिल गया। जिसका मुंह खून से लथपथ था। ग्रामीणों ने उसे लाठी-डंडे से हमला करते हुए मौके पर ही मौत के घाट उतार दिया। बता दे आवारा कुत्तों के झुंड ने बच्चे की जान पहले ही ले ली थी। कान्हा विकास गुर्जर के पास 4 बच्चे हैं। जिनमें तीन बेटियां व सबसे छोटा बेटा कान्हा था। शिवरात्रि के मौके पर परिवार में खुशी के माहौल में जब बहनों को भाई की मौत का पता चला तो वह गम के मारे बेहोश हो गई।

मौके पर पहुंची ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रमैया आर ने परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा कि रविवार को वन विभाग की मदद से जंगली कुत्तों को पकड़वा कर बाहर भेजा जाएगा। सहारनपुर की घटना को लेकर विधानसभा बेबी मुद्दा उठाया जा चुका है। गत 4 सालों में आवारा कुत्ते 15 से अधिक बच्चों और बुजुर्ग को अपना शिकार बना चुके हैं। कुत्तों की बढ़ रही संख्या और कुत्तों के लगातार हिंसक होने के कारण कुत्तों की नसबंदी का अभियान भी शुरू किया गया था। हालांकि कुछ दिन बाद यह अभियान ठप हो गया। अब एक बार फिर बच्चे की मौत से प्रशासन में हड़कंप मचा है।

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