प्रतापगढ़ः आदिवासी समुदाय के लोगों को महाराष्ट्र में बंधक बनाकर काम करवाने का मामला सामने आया है। इन्हें 500 रुपए डेली की दिहाड़ी और फ्री रहने-खाने का लालच देकर महाराष्ट्र ले जाया गया और अलग-अलग जगह जमींदारों के हवाले कर दिया जिसके बाद जमींदार गन्ने के खेतों में काम करवाते और खाना-पानी देते, लेकिन मजदूरी का पैसा मांगने पर उनके साथ मारपीट की जाती। जब पुलिस को इसकी सूचना मिली तो देर रात 13 महिलाओं समेत 53 मजदूरों का रेस्क्यू कर प्रतापगढ़ लाया गया।
जानकारी देते प्रतापगढ़ एसपी बी.आदित्य ने बताया कि 22 दिसंबर को घंटाली थाने में एक मजदूर के परिजन ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके परिवार के सदस्यों को महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के अकलूज थाना क्षेत्र के जाबुड़ गांव में बंधक बनाकर काम करवाया जा रहा है जिस पर पुलिस सतर्क हुई और कार्रवाई करते हुए करीब 950 किमी दूर जाकर लोगों को रेस्क्यू किया गया।
मजदूरी करने गई जया ने बताया कि वह वहां काम करने 2 महीने पहले गए थे। गन्ने के खेतों में काम करवाते थे। वहां हमें कभी खाना मिलता था, कभी नहीं भी मिलता था। सुबह 4 बजे उठा देते थे। पूरा दिन और देर रात तक काम करवाते थे। कभी-कभी हमारे साथ मारपीट करते थे। मजदूरी के पैसे भी नहीं दिए जाते थे और उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया जाता था।
वहीं आदिवासी मजदूर रामलाल ने बताया कि वहां जाने के कुछ दिनों तक हम बिना किसी डिमांड के काम करते रहे। 15-20 दिन बाद करीब 10 लोग वहां रखवाली करने वालों से घर जाने के लिए बोलने गए। रखवाली करने वालों ने कहा कि जो खेत में गन्ने काटे हुए हैं, उनको गाड़ियों में भर दो फिर चले जाना। 6 लोग तो काम करने लग गए और 4 लोगों ने काम नहीं किया। अगले दिन सुबह रखवाली करने वालों ने धावा बोल दिया और उन्हें बहुत मारा। इलाज करवाने की जगह उन्हें जबरदस्ती शराब पिला देते थे। रामलाल ने बताया कि अत्याचार से परेशान होकर कुछ मजदूर वहां से भाग निकले। प्रतापगढ़ पहुंचकर अन्य मजदूरों के परिजनों को मामले की जानकारी दी। इसके बाद घंटाली पुलिस थाने में शिकायत की गई।
सूचना मिलते ही घंटाली थानाधिकारी सोहनलाल के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया। टीम कुछ मजदूरों के परिजनों के साथ वहां पहुंची, अलग-अलग स्थानों से 53 मजदूरों का रेस्क्यू किया। पुलिस ने महाराष्ट्र के सीताराम पाटिल, अलवर के खान नामक व्यक्ति पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।