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10 साल के बच्चे की Heart Attack से गई जान, Experts से जानें बच्चों में क्यों बढ़ रहे ऐसे मामले?

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सेहत: महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में महज दस साल के बच्चे की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि बच्चा अपने घर के पास एक गणपति मंडाल में खेल रहा था। खेलते-खेलते उसको कुछ बैचेनी सी महसूस हुई। इसके बाद वह घर में जाकर अपनी मां की गोद में लेट गया। कुछ ही पलों में उसने मां की गोद में दम तोड़ दिया। सूत्रों की मानें तो बच्चे की हार्ट अटैक के कारण जान गई है। पहले यहां हार्ट अटैक बुजुर्गों को आता था अब पिछले कुछ समय से युवा और बच्चे इससे जूझ रहे हैं। बच्चों में दिल संबंधी दिक्कतें बढ़ रही हैं और उन्हें इस बारे में पता भी नहीं चलता पर बच्चों को हार्ट अटैक आने का कारण क्या है आपको इस बारे में बताते हैं।

इसलिए आता है बच्चों को हार्ट अटैक

बड़ों को हार्ट अटैक धमनियां बंद करने के कारण होता है वहीं बच्चों को कई वजह से यह दिक्कतें हो सकती हैं।

दिल की धमनियों में दिक्कत

जब धमनियां बहुत टाइट और गलत जगह पर हो इसके कारण दिल तक खून पहुंचना मुश्किल हो जाता है जिसके कारण हार्ट अटैक आ सकता है।

दवाईयों का रिएक्शन

कई बार कुछ दवाई यदि बच्चे लेते हैं तो भी दिल की समस्याओं का कारण बन सकती है।

जन्मजात दिल संबंधी रोग

बच्चे को जन्म के समय यदि दिल की बीमारी है तो इसके कारण भी ब्लो फ्लो पर असर होगा।

खून के थक्के जमना

कुछ जेनेटिक्स कंडीशन के चलते शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं। इसके कारण भी ब्लड फ्लो रुक जाता है।

कावासाकी रोग

यह एक दुर्लभ बीमारी होती है जिसके कारण रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा होती है और दिल को नुकसान पहुंचता है।

मायोकार्डिटिस

इस वायरल संक्रमण के कारण दिल की मांसपेशियां कमजोर होती हैं।

मोटापा और हाई कोलेस्ट्रॉल

अनहेल्दी खान-पान और फिजिकल एक्टिविटी कम होने के कारण भी दिल पर दबाव पड़ता है।

लक्षण

बच्चों को हार्ट अटैक आने पर बड़ो जैसे लक्षण नहीं दिखते। ऐसे में माता-पिता को मेडिकल हेल्प लेने के लिए बच्चों में दिखने वाले चेतावनी संकेतों पर गौर करना चाहिए। शुरुआत में लक्षण कुछ ऐसे दिखते हैं जैसे कि –

. सांस लेने में दिक्कत

. थकान और कमजोरी

. सीने में दर्द

. त्वचा पीली या नीली पड़ जाना

. धड़कन तेज या अनियमित होना

. ठंडा पसीना और मतली आना

ऐसे करें बचाव

दिल संबंधी कुछ दिक्कतें बच्चों में जेनेटिकिली होती है परंतु अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करके दिल संबंधी समस्याएं कम की जा सकती हैं।

. जंक फूड कम दें। चीनी, नमक या बाहर का फूड भी न दें।

. यदि बच्चे को फ्लू, संक्रमण का है तो उसका इलाज करवाएं।

. धूम्रपान के संपर्क में बच्चे को न आने दें। इससे उनके दिल को नुकसान पहुंचेगा।

. बच्चे का कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर चेक करते रहें।

. बच्चों की डाइट में ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल करें।

.उन्हें रोज एक्सरसाइज करवाएं।

इस तरह के लक्षण न करें इग्नोर

. अगर बच्चे के होंठों या नाखूनों पर पीलापन आए।

. दिल की धड़कन बहुत तेज या अनियमित हो तो भी नजरअंदाज न करें।

. सीने में बहुत ज्यादा दर्द, बैचेनी की शिकायत।

. बिना काम करे थकान या चक्कर यदि बच्चे को आए तो भी इग्नोर न करें।

.सांस लेने में तकलीफ या फिर यदि बच्चा बेहोश हो जाए तो भी इग्नोर न करें।

हार्ट अटैक आने पर करें ये काम

. यदि बच्चे को हार्ट अटैक आया है तो तुरंत आपातकालीन सेवा पर कॉल करें।

. बच्चा यदि बेहोश हो गया है तो उसे सीपीआर दें।

. बच्चे को शांत रखें और बिल्कुल भी न घबराएं।

. डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चे को कोई भी दवाई न दें।

 

 

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