राज्यसभा उम्मीदवार पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल आधुनिक युग के भागीरथ

राज्यसभा उम्मीदवार पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल आधुनिक युग के भागीरथ

संत सीचेवाल ने अस्तित्व खो चुकी 160 किलोमीटर  काली बेईं नदी को स्वच्छ बनाया

जनता की भागीदारी के बिना कोई भी अभियान सफल नहीं हो सकता- संत सीचेवाल

काली बेईं के भगीरथ हैं संत सीचेवाल, कहा- अंतिम सांस तक रहेगी प्रदूषण से जंग

कपूरथला/चंद्रशेखर कालिया: राज्यसभा के लिए पंजाब से पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल आप के उम्मीदवार आधुनिक युग के भागीरथ है। वह काली बेईं नदी के भागीरथ हैं। संत सीचेवाल ने प्रदूषण के कारण लगभग अस्तित्व खो चुकी 160 किलोमीटर लंबी काली बेईं नदी को स्वच्छ बनाया है। अब इस नदी में स्वच्छ जलधारा बह रही है और यह देश के लिए एक उदाहरण बन चुकी है। सीवरेज के पानी को देसी ढंग से ट्रीट कर खेती के लिए इस्तेमाल करने वाले सीचेवाल के मॉडल को कई राज्य सरकारें लागू भी कर चुकी हैं। वह कहते हैं कि प्रदूषण से उनकी जंग जारी रहेगी। ब्यास की सहायक नदी काली बेईं एक समय सीवरेज व फैक्टरियों का गंदा पानी गिरने से गंदे नाले में तब्दील हो गई थी। इससे करीब 93 गांवों की 50 हजार एकड़ जमीन पर सूखे की चपेट में आ गई थी।

वर्ष 2000 में संत सीचेवाल ने इसे पुनर्जीवित करने का प्रण लिया और जनचेतना यात्रा आरंभ की। कारसेवा के जरिए उन्होंने काली बेईं को फिर स्वच्छ बनाया। बेईं में सीवरेज को रोकने के लिए बिना सरकारी मदद सीवर लाइन बिछाई तो लोगों ने भी खुलकर दान दिया। इस नदी के गंदे पानी को एक बड़े तालाब में जमा किया जाने लगा। तालाब डालने से पहले पानी को तीन गहरे गड्ढों से गुजारा गया।देसी तकनीक से निर्मित यह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह कामयाब रहा। ट्रीटमेंट के बाद यह पानी खेती में प्रयोग होता है और बंजर जमीन पर फिर हरियाली लहराने लगी है। विश्व की प्रतिष्ठित मैगजीन टाइम्स की सूची में शामिल है। उनका लक्ष्य  राज्य के सभी जलस्रोतों को ग्रीन व स्वच्छ करना है। उन्होंने तो छोटी सी कोशिश की थी, जिसके साथ लोग जुड़ते गए और कारवां बनता चला गया। अपनी भावी कार्ययोजना के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी तो बहुत ज्यादा काम पड़ा है और वक्त तेज से बीतता चला जा रहा है।

पवित्र काली बेई का काम भी अभी चल रहा है। इसके अलावा काला संघिया ड्रेन व बुढ़ा नाला को साफ करना हमारे लिए बड़ी चुनौती है, लेकिन परमात्मा की कृपा व कार सेवकों की मदद से वह इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाने में सफल रहेंगे। बलबीर सिंह सीचेवाल ने इस नदी को साफ करने का संकल्प लिया था। उन्होंने अपने साथी और सहयोगी स्वयं सेवकों के साथ मिलकर इसके तटों का निर्माण किया और नदी के किनारे-किनारे सड़कें बनाई। सीचेवाल ने लोगों के बीच जनजागृति अभियान चलाया। इसके तहत लोगों से अपना कूड़ा करकट कहीं और डालने को कहा गया, नदी में मिलने वाले गंदे नालों का रुख मोड़ा गया और सबसे बड़ी बात नदी के किनारे बसे लोगों को इसकी पवित्रता और शुध्दि को लेकर जागरुक बनाया गया। उनके संकल्प और मेहनत ने एक नदी को गंदे नाले से इठलाती, इतराती वल खाती नदी में बदल दिया।

गंगा व देश की अन्य नदियों को साफ व स्वच्छ करने की तरकीब के सवाल संत सीचेवाल ने कहा कि जनता की भागीदारी के बिना कोई भी अभियान सफल नहीं हो सकता। सरकारें चाहे जितनी कोशिश करें, जब तक देश की जनता व आम लोग इस कार्य में भागीदार नहीं बनेंगे नदियों को साफ करने का सपना कभी साकार नहीं हो सकता है। सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार के चलते तमाम सरकारी योजनाएं बीच में ही दम तोड़ जाती है और करोड़ों रुपये कागजों में खर्च हो जाते हैं।

देश व राज्य के नदियों की सफाई में सरकारों की भूमिका के सवाल पर संत सीचेवाल ने कहा कि प्राकृतिक जलस्रोतों को साफ व स्वच्छ रखना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन हमारे राजनेता आमजन से जुड़ी बुनियादी जरूरतों की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस कारण पंजाब का भूजल भी दूषित हो चुका है।उन्होंने कहा कि पंजाब के ज्यादातर इलाकों का पानी पीने लायक नहीं रहा। इस वजह से मालवा क्षेत्र कैंसर की चपेट में है। काला संघिया ड्रेन व बुड्ढ़ा नाले के आसपास बसे गावों के लोग दूषित पानी की वजह से अनेक बीमारियों से पीडि़त हैं। संत सीचेवाल ने कहा कि प्राकृतिक जलस्रोतों में दूषित पानी डालने वालों के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए, क्योंकि यह मानवता के खिलाफ बड़ा अपराध है। सीचेवाल ने कहा मेरी सभी राजनीतिक दलों से अपील करते हैं कि वह लोगों को साफ जल व स्वच्छ वातावरण मुहैया करवाने का वचन दे।