मुकेश अग्नीहोत्री पांचवी बार विधायक बने, ऊना में बीजेपी को सिर्फ एक सीट

मुकेश अग्नीहोत्री पांचवी बार विधायक बने, ऊना में बीजेपी को सिर्फ एक सीट

जयराम कैबिनेट के 8 मंत्री हारे, सिर्फ तीन को मिली जीत

ऊना/सुशील पंडित: ऊना जिले में कांग्रेस ने भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया है। पांच में से चार सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है। सिर्फ ऊना विधानसभा क्षेत्र में सतपाल सत्ती 1736 वोटों से जीतकर भाजपा की लाज बचा पाए। सत्ती ने कांग्रेस के सतपाल सिंह रायजादा को हराया। पिछले चुनाव में मिली हार का उन्होंने हिसाब चुकता कर दिया।

वहीं नई सरकार में मुख्यमंत्री पद के दावेदार मुकेश अग्नीहोत्री पांचवी बार जीतकर विधानसभा जा रहे हैं। उन्होंने हरोली में भाजपा प्रत्याशी राम कुमार को लगातार तीसरी बार चुनाव में शिकस्त दी। 2012 में मुकेश 5172, 2017 में 7377 और 2022 के चुनाव में इस बार 9148 वोटों से जीते हैं।

इसके अलावा कुटलैहड़ में कांग्रेस की जीत का सूखा 33 वर्ष बाद 7579 वोटों से मिट गया। वहां कांग्रेस उम्मीदवार दविंदर भुट्टों ने चार बार के विधायक और मौजूदा मंत्री विरेंद्र कंवर को हराकर जीत का परचम लहराया। चिंतपुर्णी में भाजपा के बलबीर सिंह चौधरी को कांग्रेस के सुदर्शन बबलू ने 4858 वोटों से हराया।
ऊना जिले में सबसे बड़ी जीत हासिल की है गगरेट के युवा कांग्रेस नेता चैतन्य शर्मा ने। चैतन्य ने भाजपा विधायक राजेश ठाकुर को एक तरफा मुकाबले में 15685 वोटों के अंतर से हराया। इससे पहले वह जिला परिषद का चुनाव भी रिकॉर्ड मतों से जीतकर राजनीति में आए थे।
कांग्रेस ने 29 वर्ष बाद ऊना में चार सीटें जीतने का रिकॉर्ड दोहराया है। इस बार ऊना की पांच में से तीन सीटों पर नए चेहरे चुनाव जीतकर आए हैं। चिंतपूर्णी से सुदर्शन बबलू, कुटलैहड़ से दविंदर भुट्टो और गगरेट से चैतन्य शर्मा पहली बार चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे हैं।
वहीं हिमाचल के नतीजों की बात करें तो खबर लिखे जाने तक कांग्रेस पार्टी 39 सीटें जीतकर एक पर बढ़त बनाए हुए थी। यानी 40 सीटें जीतकर कांग्रेस सरकार बनाती दिख रही है। वहीं बीजेपी शाम तक 18 सीटें जीतकर 7 पर आगे चल रही थी। पार्टी अधिक से अधिक 25 सीटें जीत सकती है। अन्य के खाते में 3 सीटें आई हैं। जीते हुए तीनों उम्मीदवार आजाद चुनाव लड़ रहे थे। इस बार भी आम आदमी पार्टी का हिमाचल प्रदेश में खाता नहीं खुल पाया। वहीं स्वर्ण आंदोलन से निकलकर चुनाव से ठीक पहले बनी राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी कोई भी सीट नहीं जीत पाई है।

कैबिनेट के सिर्फ तीन चेहरे चुनाव जीते

भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण उसके बड़े चेहरों का हारना भी रहा। जयराम कैबिनेट के सिर्फ तीन चेहरे ही इस बार विधानसभा पहुंच रहे हैं। इनमें सिराज से स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जिन्होंने हिमाचल प्रदेश में अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की है। खबर लिखे जाने तक वह अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के चेत राम से 38183 वोटों से आगे थे। उनके अलावा जसवां प्रागपुर से उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर और पांवटा साहिब से बिजली मंत्री सुखराम चौधरी ही अपनी सीट बचा पाए। हारे हुए कैबिनेट मंत्रियों में विरेंद्र कंवर, गोविंद ठाकुर, राजीव सेजल, राकेश पठानिया, सरवीन चौधरी, राजेंद्र गर्ग, राम लाल मारकंडा, सुरेश भारद्वाज और पूर्व कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर भी अपना क्षेत्र बचा नहीं पाए। ठाकुर खुद तो चुनाव नहीं लड़े लेकिन बीजेपी ने उनके बेटे रजत ठाकुर को टिकट दी थी। रजत को कांग्रेस के चंद्र शेखर ने 3026 वोटों से हराया।