पर्यावरण दिवस भाषण तक सिमटा: कौशल

पर्यावरण दिवस भाषण तक सिमटा: कौशल

प्रदूषण अधिकारी और उद्योगपति कर सकते है पर्यावरण को शुद्ध

सीएसआर को पर्यावरण संरक्षण पर किया जाए खर्च

कूड़ा बीनने वालों को दिया जाए अतिरिक्त पैसा

दूषित पानी को ट्रीट कर उद्योग से बाहर फैंके पानी

बददी/सचिन बैंसल: बद्दी के पर्यावरणविद कृष्ण कुमार कौशल ने चिंता जताते हुए कहा कि वर्तमान में पर्यावरण दिवस एक औपचारिकता बन कर रह गया है। पर्र्यावरण दिवस पर बातें सभी करते है लेकिन धरातल पर उसे उतारने के लिए कोई आगे नहीं आता है। बीबीएन के औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण इतना निकल रहा है। जिसके ऊपर न तो अधिकारी गौर कर रहे है और न ही उद्योगपति। दोनों ही अपने आप को लाचार महसूस कर रहे है। जिसका खामिजया  बद्दी में रहने वाले लोग भुगत रहे है। जो एक बड़ी चिंता का विषय है। अगर दोनों ही पार्टियां पर्यावरण के प्रति गंभीर हों तो समस्या का हल निकलना कोई बड़ी बात नहीं है। जहां उद्योग यहां से लाखों रुपये कमाते है बावजूद उसके पर्यावरण संरक्षण के लिए थोड़ा सा बजट पर खर्च  करे तो समस्या का समाधान निकल सकता है।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि अगर उद्योगपति अपने सीएसआर को अन्य कार्यो में खर्च करने के बजाए पर्यावरण संरक्षण पर खर्चती है तो जहां वातारण सही रहेगा वहींं जनता के लिए पीने को पानी साफ मिलेगा और हवा स्वच्छ मिलेगी। 
 छिंटाक शी से कुछ नहीं मिलने वाला है। बावजूद इसके अगर सरकार भी पर्यावरण के प्रति गंभीर है तो  छोटी बड़ी कंपनियों के पर्यावरण के ऊपर होने वाले खर्चे के  मुताबिक सरकार को भी उन्हें सबसिडी देनी चाहिए जिससे इस लाचारी को दूर किया जाए। और पर्यावरण विशेषज्ञों से राय लेकर पूरे औद्योगिक क्षेत्र के खाका तैयार किया जाए जिससे यह समस्या जड़ से समाप्त हो।  जहां तक संभव हो गलियों में बिखर रहा प्लास्टिक कचरा यह पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। कूड़ा बीनने वालो कों प्लास्टिक कचरा उठाने पर अलग से उन्हें अतिर्कित पैसा दिया जाए। जिससे लालच में आकर कूड़ा बीनने वाले इसे इक्ट्ठा करें और अपनी आय में बढौतरी करे। इससे पर्यावरण साफ होगा। 
पर्यावरण दिवस पर आकर जो लोग अपने लंबे चौड़़े भाषण देकर पर्यावरण को सुधारना चाहते है। इससे शब्दों की खानार्पूित तो होती है, लेकिन  पर्यावरण जैसे का तैसा ही रहता है।  उन्होंने सरकार से गुजारिश है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पेड़ पौधे की व्यवस्था के अतिरिक्त जो गंदा पानी उद्योगों निकल रहा है उसे ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाना सुनिशचित करे। जिससे बीबीएन में लोगों का जीवन जीना संभव हो सके।