गरीब कामगार रोगियों  के लिए देवव्रत यादव बने मसीहा

गरीब कामगार रोगियों  के लिए देवव्रत यादव बने मसीहा

सेवानिवृत होने के बावजूद भी बद्दी में दे रहे निशुल्क सेवाएं

पत्नी के निधन के बाद रोगियों की सेवा करने का बनाया मन

जन सेवा में कर रहे खर्च अपनी पेंशन

बददी/सचिन बैंसल :   कैंसर की बीमारी से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही एक गरीब महिला  के  लिए ईएसआईसी से सेवानिवृत सहायक निदेशक मसीहा बन कर आए है। रोगी महिला को इस बीमार से लडऩे के लिए मंहगे इंजेक्शन की जरूरत थी। लेकिन पैसा न होने के कारण यह महिला लाचार थी। इस बीच महिला ने बद्दी के समाज सेवक कृष्ण कौशल से इस बारे में संपर्क किया। जिस पर उन्होंने सेवानिवृत  सहायक निदेशक देवव्रत यादव को महिला की आपबीती बताई। हमेशा गरीब और असहाय कामगारों के लिए दिन रात सेवा में जुटे रहने वाले सहायक निदेशक देवव्रत यादव ने बद्दी में कैंसर की दवा बनाने वाली कंपनी के संचालकों से संपर्क किया। जिस पर कंपनी इन इजेंक्शनों को गरीब महिला रोगी को देने को तैयार हो गई। एक इजेंक्शन की बाजार में साढ़े पांच हजार रुपये कीमत है। और चिकित्सक ने महिला को 15 इंजेक्शन लगाने को कहा है। कंपनी ने देवव्रत यादव के आग्रह पर सभी 75 हजार रुपये  की राशि के इंजेक्शन मुफ्त उपलब्ध कराए है। अब यह महिला रोगी अपना उपचार करा रही है। 

देवव्रत यादव ने बताया कि  बद्दी में केंसर की दवा तैयार करने वाली कंपनी कभी भी किसी जरूरमंद और बेसहारा रोगियों के मद्द के लिए हमेशा तैयार रहती है। कंपनी संचालकों ने अपनी कंपनी का नाम न बताने पर कहा कि वह इस दान का प्रचार करना नहीं चाहते है। ऐसा करने से उनकी ओर से दिया गया दान बेकार हो जाता है। उनका मानना है कि दायें हाथ से दिया दान को बंाये हाथ को पता नहीं चलना चाहिए। गरीब महिला लखनऊ के एक निजी अस्पताल में उपचाराधीन है और कंपनी की ओर से उसे मिले इंजेक्शन उसके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इनके लगने के बाद उसकी बीमारी में सुधार आया है। 

देवव्रत यादव ने बताया कि सेवानिवृत होने के बाद वह घर नहीं गए। उनकी पत्नी भी 15 साल तक कैंसर की बीमारी से जूझने के बाद अब वह इस दुनिया में नहीं है। वह चाहते है कि कोई भी कैंसर पीडि़त बिना उपचार के न रहे। कामगार रोगियों को  सुविधा देने के लिए अपना घर छोड़ कर  बद्दी में ही रह रहे है।  कुछ दिन पहले खेड़ा गांव के एक  कामगार की किडनी फेल हो गई थी। जब हर स्तर पर उसे नाकारात्मक उत्तर मिला तो और निराश हो कर अपने घर में बैठ गया था कि अब  उसका जीवन कुछ दिनों  का है तो ऐसे में देवव्रत यादव उसकी मद्द के लिए आगे आए। उन्होंने उसे निशुल्क अति विशिष्ठ उपचार करने के लिए सभी औपचारकिताएं पूरी कराने के बाद उपचार कराया और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। ऐसे दर्जनों कामगारों  की उन्होंने आगे आकर मुफ्त सेवा की। और भविष्य में भी इस काम को करते रहेंगे।